कोटा कृषि विवि ने शुरू किया पीजी वाइल्ड लाइफ साइंस कोर्स

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कोटा । मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में आने वाले बाघों की देखभाल के लिए अब बाहर से वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट बुलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। हाड़ौती में भी वन्यजीव विशेषज्ञ तैयार हो सकेंगे। इसके लिए कोटा कृषि विवि ने स्नातकोत्तर स्तर पर वाइल्ड लाइफ साइंस पाठ्यक्रम शुरू करने का फैसला लिया है। कृषि विवि के प्रबंध मंडल (बोम) ने हाड़ौती में कृषि एवं वन्य शिक्षा के विकास के लिए कई बड़े फैसले लिए हैं।

बुधवार को बोम की छठी बैठक में जुलाई 2018 से स्नातकोत्तर स्तर पर वाइल्ड लाइफ सांइस पाठ्यक्रम शुरू करने का फैसला लिया गया है। पाठ्यक्रम की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए पहले साल सिर्फ 5 सीटों पर दाखिला दिया जाएगा।

इसमें से राज्य सरकार के कोटे की 4 सीटें गेट एग्जाम के जरिए और केंद्र सरकार के कोटे की एक सीट आईसीएआर एग्जाम के जरिए भरी जाएगी। इसके बाद हर साल करीब दोगुनी सीटें बढ़ाई जाएंगी।

कुलपति डॉ. जी.एल. केसवा ने बताया कि वाइल्ड लाइफ साइंस की पढ़ाई फिलहाल उद्यानिकी वानिकी महाविद्यालय झालावाड़ में कराई जाएगी।

4 सेमेस्टर के इस पाठ्यक्रम में 3 सेमेस्टर छात्रों को फील्ड वर्क के साथ वन्यजीव विज्ञान की पढ़ाई कराई जाएगी, वहीं आखिरी सेमेस्टर में शोध कार्य करवाया जाएगा। हॉस्टल, फूडिंग और ट्यूशन फीस समेत एक सेमेस्टर में करीब 10 हजार रुपए खर्च आएगा।

3 नए पाठ्यक्रम शुरू
कुलपति ने बताया कि मुकुंदरा के विकास के साथ ही कोटा कृषि विवि इस क्षेत्र में फोरेस्ट्री एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए तीन नए पीजी कोर्स एग्रो फोरेस्ट्री, फोरेस्ट बायोलॉजी एण्ड ट्री इंप्रूवमेंट साइंस और फोरेस्ट प्रोडक्शन एण्ड यूटिलाइजेशन भी अगले साल से शुरू करने की तैयारी में जुटा है।

बोम की बैठक में चारों नए पाठ्यक्रमों के बोर्ड ऑफ स्टडीज के गठन को भी मंजूरी दे दी गई। बोम ने कॅरियर एडवांसमेंट स्कीम में शिक्षकों के प्रमोशन को भी मंजूरी दी गई। बैठक में विधायक हीरालाल नागर, प्रियंका गोस्वामी, डॉ. रामगोप मीणा, डॉ. विजय सिंह, डॉ. प्रताप सिंह, डॉ. एल.के. दशोरा, डॉ. एस.के. जैन, डॉ. विधि शर्मा, डॉ. के.एन. ओझा और कुलसचिव सिराराम मीना मौजूद रहे।