कानून आपके लिए ढाल है, तलवार नहीं -जस्टिस अग्रवाल

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जागरूकता रैली के साथ शहर में विधिक सेवा सप्ताह का भव्य शुभारंभ, 12 दिसंबर तक होंगे कई आयोजन

अरविन्द, कोटा। एससी-एसटी कोर्ट के न्यायाधीश गिरीश अग्रवाल ने कहा कि देश में कानून ढाल की तरह हैं, तलवार नहीं। समाज में किसी भी घटना के समय साक्ष्य के साथ सही पक्ष का साथ दें।

बच्चों के साथ कोई अन्याय हो तो सहते न रहें, सच्चाई को सामने लाने का साहस करें। क्यांकि अपराध सहना भी जुर्म के समान है। जब समाज में कानूनी जागरूकता आएगी तो नागरिक संकोच छोडेंगे और अपराधी डरेंगे।

रविवार को रंगबाडी स्थित मधु स्मृति संस्थान में विधिक सेवा सप्ताह-2017 का शुभारंभ करते हुए उन्होंने कहा कि विधी शिक्षा को जीवन से जोड़ें । हम अधिकारों की रक्षा तो करते हैं लेकिन दायित्व भूल जाते हैं। बीमारी होने पर हम सामान्य उपचार की जानकारी रखते है,

वैसे ही कानून की जानकारी भी रखें। परिवार, स्कूल या संस्था के संचालन में हम नियमों का पूरा पालन करते हैं जबकि समाज चलाने के लिए नियमों से विमुख हो जाते हैं। देश में कानून की पालना करने में आज भी जागरूकता की कमी है।

एसीजीएम कोर्ट-7 के न्यायाधीश राकेश कटारा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने देश में राष्ट्रीय स्तर (नाल्सा) से तालुका स्तर तक कानूनी जागरूकता पैदा करने के लिए विधिक सेवा का दायित्व न्यायपालिका को दिया। इनमें तीन चरण हैं।

ऐसे परिवादी जिनके उपर मुकदमा दर्ज कर दिया लेकिन वो मुकदमा लड़ने में सक्षम नहीं हैं, उनके सामंजस्य के लिए लोक अदालत है। हर माह इनमें दोनों पक्षों की सुलह-वार्ता से समाधान किया जाता है। विधिक सहायता शिविर से कानूनी जानकारी आम आदमी तक पहुंच रही है।

जरूरतमंदों को निःशुल्क कानूनी मदद भी
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पूर्णकालिक सचिव न्यायाधीश प्रमोद कुमार शर्मा ने कहा कि विधिक सप्ताह में कई उपयोगी जानकारियों आम जनता तक पहुंचती है।

राष्ट्रीय लोक अदालत से न्यायिक समस्याएं हल हुई। बच्चे, महिला, वरिष्ठ नागरिक, बुजुर्ग, विधवा-विधुर, परित्यक्ता व पीडितों को पैनल वकीलों द्वारा निःशुल्क मदद की जाती है।

गरीब के पास अधिवक्ता की फीस न हो तो उन्हें निःशुल्क सेवा दी जाती है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार, ‘कनेक्टिंग टू सर्व’ पर अमल करते हुए डोर-टू-डोर विधिक जानकारी, शिविर तथा परिवहन बसों आदि से जन-जागरूकता लाई जाएगी। 9 नवंबर को देश में विधिक सेवा दिवस मनाते हैं।

समारोह में पहुंचे 15 से अधिक जज
उद्घाटन समारोह में महिला उत्पीड़न कोर्ट-1 के न्यायाधीश मनीष अग्रवाल, एसीजीएम-1 की न्यायाधीश दमयंती पुरोहित, एसीजीएम-5 के न्यायाधीश संतोष जाट, एसीजीएम-6 के न्यायाधीश सुमरथ लाल मीणा, दक्षिण-2 की जज सीमा अग्रवाल, दक्षिण-3 के जज रमेश करौल, दक्षिण-5 कोर्ट की जज हेमलता भारती व उत्तर-2 के जज अंकुर अग्रवाल, उत्तर-3 की जज गरिमा बंसल मौजूद थीं।

उत्तर-5 की जज शिल्पी बंसल, रेलवे कोर्ट के न्यायाधीश अटल चम्पावत, प्रशिक्षु जज जया अग्रवाल एवं रचना वैष्णव, साइकोलॉजिस्ट डॉ पूर्ति शर्मा व दीप्ति राजावत, फॉरेंसिक लैब के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विनोद गर्ग तथा प्राधिकरण के पैनल सदस्य, चाइल्ड लाइन, स्काउट गाइड व एनजीओ के प्रतिनिधी, स्कूल व कॉलेज विद्यार्थी मौजूद रहे।

मधु स्मृति संस्थान की संचालिका बृजबाला निर्भीक ने बताया कि उन्होंने 1983 में निराश्रित बाल गृह से संस्थान की शुरूआत की। यहां के निराश्रित बच्चे बीएड स्तर तक पढ़ाई कर रहे हैं।

बेटी बचाओ नाटक प्रस्तुत करती छात्राएं।

कोटा में बेटियों का अनुपात बढ़ा
स्काउट-गाइड के यज्ञदत्त हाड़ा ने बताया कि कोटा में 2011 की जनगणना के समय प्रति 1000 लडकों के अनुपात में 898 लड़कियां थीं लेकिन बेटी बचाओ की जागरूकता के बाद हुए ताजा सर्वे में शहर में प्रति 1000 लड़कों के अनुपात में 913 लडकियां हैं।

कार्यक्रम में बीएड छात्राओं गायत्री, पदमा, भारती, एकता, अनिता व माया ने बेटी बचाओ पर भावनात्मक नुक्कड़ नाटक ‘बेटा अंश है तो बेटी वंश है’ प्रस्तुत किया तो सभी की आंखे नम हो गई। सभी जजों ने खड़े होकर करतल घ्वनि से उनका हौसला बढ़ाया और उन्हें मंच पर सम्मानित किया।

छात्र रवि ने ‘जिम्मेदारी का बोझ परिवार पर बढ़ने लगा तो ऑटोरिक्शा से ट्रेन भी चलाने लगी बेटियां…’ वीर की शहादत को अपना कंधा देती बेटियां, अब तो अंतिम संस्कार तक जाने लगी बेटियां..’ काव्यपाठ सुनाया तो खूब दाद मिली।

पैनल अधिवक्ता भुवनेश शर्मा ने कहा कि आबादी में एक तिहाई बच्चे हैं, लेकिन हम शिशु संरक्षण में विफल रहे। शहर में जेके लोन अस्पताल में प्रायः कई घटनाएं ध्यान खींचती हैं।

छात्राओं ने जागरूकता रैली निकाली
डॉ.अंजली निर्भीक ने बताया कि इससे पूर्व रंगबाड़ी में बालाजी इंस्टीट्यूट व बीएड छात्राओं ने ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ का संदेश देते हुए जागरूकता रैली निकाली। निराश्रित बच्चों ने न्यायाधीशों का ताइक्वांडो करते हुए स्वागत किया। निराश्रित सायबीन, राधिका व कोमल ने राजस्थानी स्वागत गीत प्रस्तुत किया।

बच्चों ने भावपूर्ण गणेश नृत्य प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया। विधिक सेवा सप्ताह में शहर के स्कूलों व संस्थाओं में विभिन्न कार्यक्रमों से विधिक सेवा के लिए जन-जागरूकता पैदा की जाएगी।