कोरिएंडर हब’ बना कोटा, 20 देशों में पहुंच रहा हाडौती का धनिया 

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कोटा।  वर्तमान में 10 से 12 लाख बोरी धनिया (कोरिएंडर) एक्सपोर्ट हो रहा है। धनिए की दरें कम हो या ज्यादा, कलर एवं क्वालिटी बेहतरीन होने से ग्लोबल डिमांड पर कोई असर नहीं पड़ता। हमारा धनिया पाकिस्तान व श्रीलंका में जाता है, लेकिन रूस व बल्गारिया हमसे  प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।
यह जानकारी  तमिलनाडु के निर्यातक पीसीके माहेश्वरन ने दी। उन्होंने कहा कि वहां तापमान कम रहने से धनिए में आयल कंटेंट ज्यादा होता है। यहां का ईगल, सिंगल पैरट व डबल पैरट धनिया दुनिया भर में मशहूर है। इसलिए इसे कोरिएंडर हब कहते हैं।
-प्रतिवर्ष 100 करोड़ का एक्सपोर्ट 
राजस्थान व मप्र के धनिए की अरोमा खुशबू से प्रभावित चेन्नई की प्रमुख निर्यातक कंपनी आची मसाला के मैजेनर ए.एडलबर्ट तथा क्वालिटी कंट्रोल मैनेजर श्रीकांत ने भारत एवं रूस के धनिया निर्यात की तुलना करके बताया कि तापमान एवं टेस्ट प्रोफाइल से धनिए की क्वालिटी की डिमांड होती है। वे प्रतिवर्ष 100 करोड़ रूपए का धनिया निर्यात कर रहे हैं। अरोमा खुशबू के कारण राजस्थान व मप्र के धनिए की आस्ट्रेलिया, यूएसए, न्यूजीलैंड, कनाडा, खाडी के देशों व यूरोप में डिमांड ज्यादा रहती है।
पिछले वर्ष 40 हजार टन धनिया निर्यात हुआ
स्पाइस बोर्ड, गुना के उपनिदेशक डॉ. डी. अजय ने बताया कि गत वर्ष 40 हजार टन धनिया दुनिया के 20 देशों में निर्यात किया गया। धनिए की पैदावार राजस्थान, मध्यप्रदेश व गुजरात में सर्वाधिक है। बोर्ड में देश की 5848 मसाला निर्यातक कंपनियां पंजीकृत हैं, जिसमें 214 राजस्थान से हैं। शैड्यूल में धनिया सहित 52 स्पाइस शामिल हैं, मसाला बोर्ड नए प्रॉडक्ट, सीड्स मशीनों एवं रिसर्च के लिए अनुदान भी देता है। धनिए को हाइजनिक रखने के लिए बोर्ड किसानों को त्रिपाल शीटें देता है।
इस वर्ष राज्य में1.90 लाख मीट्रिक टन पैदावार संभव
उद्यान विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. रामवतार शर्मा ने एक प्रजेंटेशन में बताया कि राजस्थान देश में सर्वाधिक धनिया उत्पादक राज्य है, जिसमें कोटा सबसे अग्रणी है। वर्ष 2016-17 में राज्य में 1 लाख 90 हजार मैट्रिक टन धनिए की बम्पर पैदावार होने का अनुमान है, जिसमें से 1 लाख 72 हजार एमटी केवल हाड़ौती अंचल से होगी। राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, असम, उडीसा, आंध्रप्रदेश व उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों की 6 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में धनिया होता है। जिसमें से 40 प्रतिशत हिस्सा राजस्थान का है।