Lok Sabha Election: कोटा-बूंदी संसदीय क्षेत्र में भी भाजपा के बहिष्कार की मांग तेज

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  • केन्द्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला की राजपूतों के लिए की गई इस बेहद ही अपमानजनक टिप्पणी कि-” रियायतकाल में तत्कालीन ‘महाराजाओं’ ने विदेशी शासकों और अंग्रेजों के उत्पीड़न के आगे घुटने टेक दिए थे और यहां तक कि अपनी बेटियों की शादी भी उनसे कर दी थी” के मामले में अपने को भारतीय जनता पार्टी का परम्परागत वोटर समझ कर पुरुषोत्तम रूपाला को टिकट नहीं देने की उनकी मांग आसानी से मान लेने की गफ़लत पाले बैठे राजपूतों की खुमारी अब संभवत् उतर चुकी है अब विरोध के स्वर राजस्थान एवं हाडोती तक आ पहुंचे हैं, लेकिन इसके विरोध में भी भाजपा ने अपने एक राजपूत समूह को राजपूतों की मांग का ही विरोध करने के लिए उतार दिया है।

-कृष्ण बलदेव हाडा-
Lok Sabha Election 2024: राजस्थान के कोटा-बूंदी संसदीय क्षेत्र में केन्द्रीय मंत्री और गुजरात में राजकोट से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी पुरुषोत्तम रूपाला के भाजपा के प्रबल समर्थक राजपूतों के खिलाफ की गई टिप्पणी को लेकर अब तक इस मसले पर सुषुप्त पड़े हाडोती के राजपूत समाज में भी भाजपा के खिलाफ विरोध के स्वर तेज हो गए हैं और इस चुनाव में कोटा संभाग की सीटों पर भाजपा के प्रत्याशियों को वोट नहीं देने की मांग जोर पकड़ने लगी है।

उल्लेखनीय है कि गुजरात के पाटीदार समुदाय के कडवा उप-वर्ग से आने वाले केन्द्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने रजवाड़ों के लिए बेहद ही अपमानजनक टिप्पणी की थी जिसमें उन्होंने यहां तक कह दिया था कि रियायतकाल में तत्कालीन ‘महाराजाओं’ ने विदेशी शासकों और अंग्रेजों के उत्पीड़न के आगे घुटने टेक दिए थे और यहां तक कि अपनी बेटियों की शादी भी उनसे कर दी थी।

राजपूत इस टिप्पणी को उनके घोर अपमान के रूप में देख रहे हैं। गुजरात के राजपूत तो खुले आम भारतीय जनता पार्टी के के इस लोकसभा चुनाव में बहिष्कार का ऎलान कर कड़े विरोध की अपनी मंशा जता चुके हैं और उत्तरप्रदेश में भी विरोध के बाद अब राजस्थान में भाजपा के विरोध की बारी है। राजपूतों की मंशा मतदान के अधिकार के बहिष्कार की नहीं बल्कि भाजपा और उसके प्रत्याशी के बहिष्कार की है।

हालांकि कोटा में दावा यह किया जा रहा है कि कोटा संभाग में राजपूतों का एक धड़ा ऎसा है जो इस मांग से इत्तेफ़ाक नहीं रखता और वे लोग बकायदा मीड़िया मैनेजमेंट के जरिए अपनी इस कथित नाइत्तेफ़ाकी का इजहार भी कर रहे हैं लेकिन उनकी

नाइत्तेफ़ाकी की वजह सीधे-सीधे नजर आ रही है क्योंकि ये सभी सुनामधन्य घोषित भारतीय जनता पार्टी के ही नेता है जो अपने स्तर पर यह सफ़ाई दे रहे हैं कि यह केन्द्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला की व्यक्तिगत राय है जबकि स्थित यह है कि गुजरात में भाजपा तो राजपूतों से माफ़ी मांगने तक को तैयार नहीं है।

भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने केन्द्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला की रजवाड़ों के लिए की गई बेहद ही अपमानजनक टिप्पणियों के मामले में राजपूतों की जमकर भद्द पिटी है। पहले तो जब केन्द्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने यह अपमानजनक टिप्पणी की तो राजपूतों ने खुद के भाजपा के विश्वस्त मतदाता होने के दम्भ में पुरुषोत्तम रूपाला को राजकोट से टिकट नहीं देने की मांग की लेकिन भाजपा ने यह मांग सिरे से ही खारिज कर तो राजपूतों ने जब भाजपा के बहिष्कार की चेतावनी दी तो पुरुषोत्तम रूपाला ने न केवल पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के साथ विशाल रैली निकाल कर नामांकन पर्चा दाखिल किया।

यह खुलकर दावा भी ठोका की वे तो जीतेंगे। इसके बाद से गुजरात के राजपूत खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं क्योंकि वे करीब चार लाख लोगों का राजकोट में छत्रीय अस्मिता महासम्मेलन आयोजित कर भी भाजपा को उनकी मांग ठुकराने से रोक नहीं पाए। इस रैली में भाग लेने राजस्थान से करणी सेना के नेता महिपाल सिंह मकराणा गए थे जिन्हें भी गुजरात पुलिस ने चार घंटे थाने में बिठाये रखने के बाद छोड़ा था।

गुजरात के राजपूतों के लगातार विरोध के बाद अब उत्तर प्रदेश और राजस्थान के राजपूतों ने इस लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों के बहिष्कार का जिम्मा संभाला है तो भाजपा ने भी अपने कुछ नेताओं को केन्द्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला की राजपूतों के लिए की गई बेहद ही अपमानजनक टिप्पणियों के मामले को पुरुषोत्तम रूपाला की “व्यक्तिगत राय” प्रमाणित कर देने की जिम्मेदारी सौंपी हैं।