Electoral Bond: क्या चुनावी बॉन्ड से बीजेपी को हो रहा था फायदा, जानिए कितना चंदा

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नई दिल्ली। Electoral Bond: सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक ठहराते हुए इसे रद्द कर दिया है। ये केंद्र सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। 2018 में नरेंद्र मोदी सरकार ने इस योजना को लागू किया था। सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को 2019 से इसके बारे में जानकारी देने को कहा है।

इसके अलावा चुनाव आयोग को अपनी वेबसाइट पर सभी राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे को सार्वजनिक करने को कहा है। कारोबारी घरानों से लेकर कई अन्य लोग पार्टियों को चुनावी चंदा देते रहे हैं। आइए जानते हैं 2022-23 में किस पार्टी को कितना चंदा मिला।

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2022-23 में किस दल को कितना चंदा
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को कुल 720 करोड़ रुपये चंदे के रूप में मिला था। इसमें वैसे दानदाताओं के नाम शुमार हैं जो 20 हजार से ज्यादा रुपये चंदा के रूप में दिए हैं। बीजेपी को 2021-22 की तुलना में 22-23 में 17.1% ज्यादा चंदा मिला। कांग्रेस को 2022-23 में कुल 79.9 करोड़ रुपये चंदा मिला था। 21-22 की तुलना में उसे 16.3 फीसदी कम चंदा मिला। 21-22 में कांग्रेस को 95.4 करोड़ रुपये चंदा मिला था।

विभिन्न राजनीतिक दलों ने 2022-23 में जो चंदे के बारे में चुनाव आयोग को जानकारी दी थी। उसके अनुसार बीजेपी को 719.8 करोड़ रुपये मिले थे। भगवा दल को 2021-22 में 614.5 करोड़ रुपये चंदा मिला था।

प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट ने बीजेपी को 254.7 करोड़ रुपये चंदा दिया था। (कुल चंदे का 35%) इसके अलावा इंजीगार्टिग इलेक्टोरल ट्रस्ट ने पार्टी को 8 लाख रुपये चंदा दिया था। गौरतलब है कि इसमें इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए मिलने वाले चंदे की जानकारी पार्टियों को देने की जरूरत नहीं होती है।

क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड
चुनावी बांड ब्याज मुक्त धारक बांड या मनी इंस्ट्रूमेंट था जिन्हें भारत में कंपनियों और व्यक्तियों द्वारा भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अधिकृत शाखाओं से खरीदा जा सकता था। ये बांड 1,000 रुपये, 10,000 रुपये, 1 लाख रुपये, 10 लाख, और 1 करोड़ रुपये के गुणकों में बेचे जाते थे।किसी राजनीतिक दल को दान देने के लिए उन्हें केवाईसी-अनुपालक खाते के माध्यम से खरीदा जा सकता था। राजनीतिक दलों को इन्हें एक निर्धारित समय के भीतर भुनाना होता था। दानकर्ता का नाम और अन्य जानकारी दस्तावेज पर दर्ज नहीं की जाती है और इस प्रकार चुनावी बांड को गुमनाम कहा जाता है। किसी व्यक्ति या कंपनी की तरफ से खरीदे जाने वाले चुनावी बांड की संख्या पर कोई सीमा नहीं थी। सरकार ने 2016 और 2017 के वित्त अधिनियम के माध्यम से चुनावी बांड योजना शुरू करने के लिए चार अधिनियमों में संशोधन किया था। संसद से पास होने के बाद 29 जनवरी 2018 को इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम की अधिसूचना जारी की गई थी।