सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड स्कीम पर लगाई रोक, बताया सूचना के अधिकार का उल्लंघन

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नई दिल्ली। Electoral Bonds Unconstitutional: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को चुनावी बॉन्ड को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। सर्वोच्च अदालत की 5 जजों की पीठ ने चुनावी बॉन्ड को ‘असंवैधानिक’ बताया है। सुप्रीम कोर्ट ने आज चुनावी बॉन्ड स्कीम (Electoral Bonds Scheme) की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया।

अपने फैसले में अदालत ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक फंडिंग के लिए चुनावी बांड स्कीम को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि यह नागरिकों के सूचना के अधिकार का उल्लंघन करता है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड ने कहा कि दो अलग-अलग लेकिन सर्वसम्मत फैसले हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि Electoral Bonds के माध्यम से काले धन के मुद्दे से निपटने का केंद्र का औचित्य उचित नहीं है। चुनावी बांड ब्याज मुक्त वाहक उपकरण हैं जिनका उपयोग अनिवार्य रूप से राजनीतिक दलों को गुमनाम रूप से धन दान करने के लिए किया जाता है। इस योजना की घोषणा पहली बार 2017 के केंद्रीय बजट भाषण में की गई थी जब स्वर्गीय अरुण जेटली वित्त मंत्री थे।

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की संवैधानिक पीठ ने पिछले साल 2 नवंबर को इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

पारदर्शिता कार्यकर्ताओं द्वारा उठाई गई प्राथमिक चिंता यह है कि मतदाता अब यह नहीं जान सकते कि किस व्यक्ति, कंपनी या संगठन ने किस पार्टी को और किस हद तक वित्त पोषित किया है। पहले पार्टियों को 20,000 रुपये से अधिक का योगदान देने वाले सभी दानदाताओं का विवरण प्रकट करना होता था। हालाँकि, केंद्र ने नकद दान के विकल्प के रूप में और राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के तरीके के रूप में बांड को पेश किया है।

Electoral Bonds योजना की संवैधानिकता को चुनौती देने के अलावा, याचिकाकर्ताओं ने अदालत से सभी राजनीतिक दलों को सार्वजनिक कार्यालय घोषित करने और उन्हें सूचना के अधिकार अधिनियम के दायरे में लाने और राजनीतिक दलों को अपनी आय और व्यय का खुलासा करने के लिए बाध्य करने की मांग की है।

बॉन्ड से सरकार ने जुटाए 16,518 करोड़ रुपये
सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले के पहले केंद्र ने 5 फरवरी को लोकसभा को बताया था कि भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के माध्यम से 30 किश्तों में 16,518 करोड़ रुपये के चुनावी बांड बेचे गए हैं। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में, वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा, “भारतीय स्टेट बैंक से खरीदे गए चुनावी बांड का कुल मूल्य लगभग 16,518 करोड़ रुपये है।”