Election Result: राजस्थान में आज तय होगा प्रत्याशियों का भविष्य, नेताओं की उड़ीं नींद

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जयपुर। Rajasthan Election Result: राजस्थान में प्रत्याशियों का भविष्य आज तय होगा। राजस्थान ऐसा राज्य है जहां 1993 से सरकार बदलने का रिवाज रहा है। हालांकि इस बार शुरुआती चुनावी अभियानों के दौरान लग रहा था कि भाजपा आरामदायक जीत के साथ राजस्थान की सत्ता में आ सकती है, लेकिन इस बार जुझारू अशोक गहलोत ने भाजपा को कभी भी आगे नहीं बढ़ने दिया।

जहां भाजपा को भरोसा है कि कानून-व्यवस्था और “तुष्टिकरण की राजनीति” पर कांग्रेस सरकार को निशाना बनाने वाला उसका अभियान घर-घर पहुंच गया है, तो वहीं गहलोत अपनी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की लोकप्रियता पर भारी दांव लगा रहे हैं।

दोनों पक्षों को यह भी उम्मीद है कि शहरी-ग्रामीण आधार पर वोटों का बंटवारा वैसा ही रहेगा। यानी भाजपा शहरी नेतृत्व पर कायम रहेगी और कांग्रेस को गांवों में अपनी योजनाओं से लाभ होगा। संयोग से, दोनों पार्टियों के घोषणापत्रों में किसानों से लेकर नौकरियों, महिलाओं से लेकर स्कूली बच्चों, स्वास्थ्य से लेकर एलपीजी तक जैसे विभिन्न मुद्दों पर बातें एक जैसी ही थीं।

बता दें कि करणपुर से कांग्रेस उम्मीदवार के निधन के बाद राज्य की कुल 200 विधानसभा सीटों में से 199 पर मतदान हुआ था। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले राजस्थान में कांग्रेस सत्ता में है और अगर वह यह राज्य गंवा देती है तो उसके लिए बड़ा झटका होगा।

इनका करियर दांव पर
इस चुनाव में राजस्थान में कई दिग्गज नेताओं का करियर भी दांव पर है। जिन दो लोगों के लिए ये चुनाव उनके राजनीतिक भविष्य को तय करेगा उनमें 72 वर्षीय अशोक गहलोत और 70 वर्षीय वसुंधरा राजे हैं। जहां गहलोत ने सीएम पद पर बने रहने के लिए पार्टी के भीतर के सभी दबावों का सामना किया, तो वहीं वसुंधरा राजे को बीजेपी के सीएम चेहरे के रूप में मंजूरी नहीं मिल सकी। कांग्रेस के लिए आरामदायक जीत का मतलब यह होगा कि कांग्रेस सचिन पायलट के बावजूद, गहलोत को सीएम पद से नहीं हटाएगी।

वहीं भाजपा के लिए आरामदायक जीत का मतलब यह हो सकता है कि पार्टी आलाकमान राजे को हमेशा के लिए बाहर कर देगा। कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ी लड़ाई में, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उस राज्य में लगातार दूसरी बार सत्ता हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं, जो अपने निर्णायक नतीजों के लिए जाना जाता है। भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और सत्ता विरोधी रुझान पर भरोसा कर रही है।

नतीजे तय करेंगे कांग्रेस के बड़े नेताओं का भविष्य। अगर वह हार गए तो क्या यह गहलोत के लिए आखिरी लड़ाई होगी और उनके राजनीतिक करियर का अंत होगा? ऐसा प्रतीत होता है कि करीबी हार की स्थिति में वह सारा दोष पायलट पर मढ़ने की कोशिश करेंगे। लेकिन एक हार भी पायलट को 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी को फिर से जीवंत करने के फोकस में वापस लाएगी। एक जीत या करीबी हार कांग्रेस को लोकसभा चुनावों में अच्छे प्रदर्शन के लिए तैयार कर देगी, जबकि एक बड़ी हार का मतलब है कि भाजपा लगातार तीसरी बार सभी 25 लोकसभा सीटें जीतने की पक्षधर होगी।

राजस्थान के नतीजे लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रदर्शन की दिशा तय करेंगे। हालांकि विपक्षी दल इंडिया गुट का राज्य में ज्यादा आधार नहीं है क्योंकि कांग्रेस अपने आप में एक प्रमुख खिलाड़ी है, फिर भी वह 2014 और 2019 में हुए सफाए की तुलना में बेहतर लड़ाई की उम्मीद कर सकती है।

इनके लिए चुनौती
राजे और गहलोत के अलावा, कुछ अन्य प्रमुख चेहरे भी हैं जो कड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं। नतीजों से पहले इन नेताओं की भी नीदें उड़ी हुई हैं। इनमें विधानसभा अध्यक्ष और कांग्रेस के दिग्गज नेता सी पी जोशी (नाथद्वारा); कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा (लक्ष्मणगढ़); और नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ (तारानगर) हैं। पार्टी के भीतर तनाव के बावजूद, भाजपा और कांग्रेस कमोबेश एकजुट चेहरा पेश करने में कामयाब रहे। भाजपा ने अपनी दूसरी सूची में राजे के कई समर्थकों को जगह दी, जबकि गहलोत ने मौजूदा विधायकों को बदलने के कांग्रेस आलाकमान के प्रयासों को रोक कर दिया था। हालांकि, सचिन पायलट को दरकिनार किए जाने को लेकर गुर्जर प्रतिक्रिया को लेकर घबराहट है। 2018 में, गुज्जर समुदाय अपने समुदाय से आने वाले सदस्य पायलट के पीछे ताकत झोंक दी थी, जिसमें कांग्रेस के 8 गुज्जर विधायक चुने गए थ