Election 2023: हाडोती के दावेदारों को करना होगा अगली सूची का इंतजार

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यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल।
कोटा जिले में चुनावी तस्वीर अभी साफ नहीं है, लेकिन यह तय है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में कुछ सीटों पर दिलचस्प चुनाव होंगे। कोटा उत्तर में लोगों की अपेक्षाए इतनी अधिक बढ़ गई है कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं को प्रत्याशी के रूप में शांति धारीवाल से कम कोई मंजूर नहीं है। लाड़पुरा से मौजूदा विधायक कल्पना देवी अपनी लोकप्रियता के सबसे निचले पायदान पर होने के बावजूद भाजपा के टिकट की सबसे प्रबल दावेदार हैं। कांग्रेस के पास सांगोद में भरत सिंह कुंदनपुर से अधिक मजबूत विकल्प नहीं है।

-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा।
Rajasthan Assembly Election 2023: अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों की अब तक तीन-तीन सूचियां आ चुकी हैं। लेकिन, हाडोती अंचल में अभी भी 17 सीटों में से एक भी सीट पर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है कि कांग्रेस और भाजपा के किन प्रत्याशियों के बीच मुकाबला होगा।

कहीं भाजपा का प्रत्याशी घोषित हो चुका है तो कहीं कांग्रेस का, पर दोनों दलों से कौन आमने-सामने होंगे, यह अभी तय नहीं हो पाया है। टिकट के दावेदारों को अब चौथी और उसके बाद पांचवी जो संभवत अंतिम हो सकती है, की प्रतीक्षा है। क्योंकि सोमवार से नामांकन भरने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

हालांकि यह प्रक्रिया 6 नवम्बर तक जारी रहने के कारण तब तक प्रत्याशियों के नाम तय किए जा सकेंगे। लेकिन दोनों ही दल चाहेंगे कि जल्द से जल्द प्रत्याशियों के नाम तय हो ताकि उन्हें चुनाव की तैयारियों के लिए पर्याप्त समय मिल सके।

कोटा जिले की छह विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने अभी तक एक भी सीट पर अपने प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं की है, जबकि भाजपा ने केवल कोटा दक्षिण से मौजूदा विधायक संदीप शर्मा और सांगोद से एक बार विधायक रह चुके हीरालाल नागर को अपना प्रत्याशी बनाया है। बूंदी जिले में भाजपा ने बूंदी सीट से अशोक डोगरा को फिर से लगातार चौथी बार चुनाव मैदान में उतारा है।

कांग्रेस के हिंडोली से दूसरी बार खेल राज्य मंत्री अशोक चांदना प्रत्याशी होंगे, जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने पर बगावत करके निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़कर पार्टी को हराने में अहम भूमिका निभा चुके पूर्व विधायक सीएल प्रेमी को केशवरायपाटन से प्रत्याशी बनाया है। पिछले विधानसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस मात्र 7147 वोटों से हारी थी। क्योंकि बगावती सीएल प्रेमी 35 हजार 115 वोट ले गए थे।

झालावाड़ जिले में भाजपा अपने चारों प्रत्याशी घोषित कर चुकी है और जैसी की उम्मीद थी, श्रीमती वसुंधरा राजे अपनी परंपरागत सीट झालरापाटन से मैदान में है तो उन्हीं के समर्थक तीन अन्य विधानसभा सीटों से एक बार फिर अपना भाग्य आजमा रहे हैं। यहां चूंकि कांग्रेस अपने राजनीतिक अस्तित्व के लिए ज्यादा उम्मीदें भी नहीं रखती है।

इसलिए कहीं से भी संभावित प्रत्याशियों में मारामारी नजर आती है और न ही पार्टी जल्दबाजी में दिखाई देती है। बारां जिले की चार विधानसभा सीटों में से कांग्रेस बारां से एक बार फिर पानाचंद मेघवाल को चुनाव लड़ा रही है, जबकि जैसी की अपेक्षा थी, अंता विधानसभा सीट से प्रमोद जैन भाया कांग्रेस के प्रत्याशी होंगे जो वर्तमान में भी यहां से विधायक हैं और राज्य सरकार में मंत्री भी हैं।

पूर्व में भी प्रमोद जैन भाया निर्दलीय एवं कांग्रेस के विधायक रह चुके हैं। यह उनका चौथा चुनाव होगा। वे खूब लोकप्रिय भी है इसलिये भाजपा के संभावित उम्मीदवार प्रभु लाल सैनी इस बार यहां की जगह अपनी पुरानी सीट हिण्डोली में लौटना चाहते हैं, लेकिन यह फ़ैसला वे नहीं, पार्टी करेगी।

हाडोती संभाग में चुनाव की दृष्टि से सबसे ज्यादा रोमांचक मुकाबले कोटा जिले में ही होने वाले हैं, जिनमें सबसे अधिक रोमांच कोटा उत्तर, कोटा दक्षिण और लाडपुरा विधानसभा सीट को लेकर है। कोटा उत्तर सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी को लेकर सबसे अधिक उत्कंठा है। क्योंकि यहां से अभी शांति धारीवाल विधायक हैं और टिकट के दावेदार भी।

लेकिन यह प्रचारित किया जा रहा है कि आलाकमान उनको टिकट देने के पक्ष में नहीं है। धरातल पर वस्तुस्थिति यह है कि मतदाताओं की अपेक्षाएं इतनी अधिक अधिक बढ़ गई है कि उन्हें शांति धारीवाल से कम कुछ भी मंजूर ही नहीं है। क्योंकि विधायक चुने जाने के बाद तीन बार राज्य सरकार में मंत्री रह चुके शांति धारीवाल ने पिछले कार्यकाल में नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री रहते कोटा शहर के विकास एवं सौंदर्यकरण के इतने कार्य करवाए हैं कि उससे जनता चमत्कृत है।

अपेक्षाएं इतनी अधिक बढ़ गई हैं कि कोटा उत्तर के कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को प्रत्याशी के रूप में शांति धारीवाल से कम की अपेक्षा ही नहीं रह गई है। यह आम धारणा है कि शांति धारीवाल के नेतृत्व में निश्चित रूप से आने वाले समय में कोटा के विकास को एक नई दिशा मिलेगी। कोटा दक्षिण विधानसभा क्षेत्र भाजपा अपना प्रत्याशी घोषित कर चुकी है और कांग्रेस के दावेदारों की फ़ेहरिस्त लम्बी है।

कोटा जिले में एक और दिलचस्प सीट लाडपुरा विधानसभा है, जहां अभी भाजपा की कल्पना देवी विधायक हैं, जो भाजपा के अपने सर्वे में लोकप्रियता के पैमाने पर सबसे निचले पायदान पर हैं। वे इस बार फ़िर दावेदार हैं। कोटा के पूर्व राजपरिवार से है, इसलिए पार्टी के सामने उनकी दावेदारी को नकारना सहज नहीं होगा। भले ही बाद में चुनाव जीतना भी आसान नहीं रह जाएगा।

अन्य दावेदारों में तीन बार के विधायक रह चुके भवानी सिंह राजावत हैं, लेकिन वे मौजूदा समय में अपनी प्रासंगिकता खो चुके हैं। शेष बचे दावेदारों में सबसे शिखर पर युवा मोर्चा के पूर्व देहात अध्यक्ष लोकेंद्र सिंह राजावत हैं। अब यह भाजपा को तय करना है कि वह अलोकप्रियता के शिखर पर मौजूद मौजूदा विधायक कल्पना देवी को टिकट देती है या किसी अन्य युवा दावेदार पर दाव लगाती है?

कांग्रेस यहां से लगातार तीन चुनाव हारती रही हैं और यह आम धारणा है कि ये तीनों ही चुनाव यहां कांग्रेस नहीं हारी, बल्कि उम्मीदवार चुनाव हारा है। केवल एक हार के बाद पार्टी ने पूनम गोयल को टिकट नहीं दिया। इसलिए एक परिवार के लगातार तीन हार के बाद नए दावेदार मैदान में हैं, जिनमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नजदीकी पंकज मेहता भी शामिल हैं।

कोटा जिले में कांग्रेस पिछले चुनाव में सबसे कम 1868 मतों के अंतर से चुनाव सांगोद सीट पर जीती थी, जहां से वर्तमान में भरत सिंह कुंदनपुर विधायक हैं लेकिन इस बार वे पहले ही चुनाव नहीं लड़ने का फैसला पार्टी को बता चुके हैं। लिहाजा पार्टी की तलाश नए प्रत्याशी की है। पर कोशिश वापस भरत सिंह कुंदनपुर को बनाकर टिकट देने की रह रही है क्योंकि उनका विकल्प मिलना इतना आसान भी नहीं है।भाजपा यहां पर पहले ही हीरालाल नागर को अपना प्रत्याशी घोषित कर चुकी है।