जीएसटी काउंसिल की फिटमेंट समिति ने सिफारिशों में कहा है कि कम से कम तीन महीने तक वस्तुओं पर जीएसटी की दरों में बदलाव नहीं करना चाहिए
नई दिल्ली । वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की सिंगल दर 18 प्रतिशत या सिर्फ दो दरें 12 और 18 प्रतिशत लागू होने के लिए अभी इंतजार करना होगा। जीएसटी काउंसिल की फिटमेंट समिति ने अपनी सिफारिशों में साफ कहा है कि कम से कम तीन महीने तक वस्तुओं पर जीएसटी की दरों में बदलाव नहीं करना चाहिए।
समिति ने यह भी सिफारिश की है कि लक्जरी गुड्स और तंबाकू जैसी अवगुणी वस्तुओं पर जीएसटी की अधिकतम दर 28 प्रतिशत की समीक्षा न की जाए। साथ ही उन वस्तुओं पर भी जीएसटी की अधिकतम दर की समीक्षा न की जाए जिनसे केंद्र और राज्यों को खासा राजस्व प्राप्त हो रहा है।
ये सिफारिशें शनिवार को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में शनिवार को यहां हुई जीएसटी काउंसिल की 21वीं बैठक में पेश की गईं।
समिति ने स्पष्ट कहा है कि विभिन्न वस्तुओं पर जीएसटी की दरें नीतिगत उद्देश्यों को ध्यान में रखकर तय करनी चाहिए न कि इस आधार पर कि किसी वस्तु पर जीएसटी से पहले कुल कितना टैक्स था और इसके बाद कितना है।
जीएसटी की 28 प्रतिशत अधिकतम दर के बारे में समिति का कहना है कि चार प्रकार की वस्तुओं जिनमें लक्जरी गुड्स और और तंबाकू जैसी अवगुणी वस्तुएं भी शामिल हैं, उन पर जीएसटी की दर घटाने का फिलहाल बिल्कुल विचार न किया जाए।
हालांकि समिति का कहना है कि जनहित, जन उपभोग, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों में उत्पादित होने वाली वस्तुओं और निर्यात से जुड़ी वस्तुओं पर 28 प्रतिशत दर की समीक्षा की जा सकती है।
समिति ने यह भी सिफारिश की है कि देश में विनिर्मित वस्तुओं को जीएसटी से पूरी तरह छूट न दी जाए क्योंकि ऐसा करने पर यह मेक इन इंडिया नीति के विरुद्ध होगा और इससे घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ाने के प्रयासों को झटका लगेगा।
दरअसल विश्व व्यापार संगठन के नेशनल ट्रीटमेंट प्रिंसिपल के अनुसार आयातित और स्थानीय स्तर पर उत्पादित वस्तुओं पर टैक्स में समानता होनी चाहिए।
अगर घरेलू वस्तुओं पर जीएसटी की दर शून्य रखी जाती है तो ऐसी आयातित वस्तुओं पर आईजीएसटी की दर भी शून्य हो जाएगी। इस स्थिति में देश के भीतर बनी वस्तुओं की कीमत इनपुट टैक्स क्रेडिट न मिलने के कारण बढ़ जाएगी जबकि आयातित वस्तुएं सस्ती हो जाएंगी।
समिति का यह भी कहना है कि अगर कोई राज्य स्थानीय महत्व की वस्तुओं को प्रोत्साहित करना चाहता है तो वह अपने बजट से सीधे सब्सिडी देकर ऐसा कर सकता है।