नई दिल्ली। तुवर की फसल की बुवाई का काम देश में शुरू हो गया है। महाराष्ट्र में भी तुवर की बुवाई जोर पकड़ रही है। मगर कई जगह पर बारिश न होने से किसान चिंतित हो रहे हैं। क्योकि बुवाई की गयी फसल को बारिश न मिली तो फसल को नुकसान हो सकता है।
चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार ने अगले 5 वर्षों तक यानि 2026 तक के लिए म्यांमार से तुवर, उड़द तथा मलावी से तुवर आयात के लिए वार्षिक कोटा निर्धारित कर दिया है।
व्यापार महानिदेशालय द्वारा अधिसूचना के अनुसार मार्च 2026 तक हर वर्ष म्यांमार से 2.5 लाख टन उड़द तथा 1 लाख टन तुवर और मलावी से 50 हजार टन तुवर आयात की अनुमति देने का निर्णय लिया है।इस समय किसानो के पास तुवर का स्टॉक ना के बराबर है। तो दूसरी और तुवर का उत्पादन मौसम के स्थिति पर निर्भर करेंगा।
फिलहाल दालों में ग्राहकी नहीं होने से तुवर की तेजी रुकी हुयी है। मगर जानकारों द्वारा बताया जा रहा है कि जुलाई मध्य के बाद दालों में ग्राहकी निकलने लगेंगी।
फिलहाल तुवर के भाव में अधिक मंदी आने की संभावना नहीं है। क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में म्यांमार की नई लेमन तुवर 10 डॉलर बढ़ाकर 860 डॉलर और पुरानी 840 डॉलर प्रति टन सीएंडएफ प्रस्तावित किये जा रहे हैं।
तुवर का उत्पादन भी घरेलु खपत के अनुरूप नहीं होने से दाल मिलों को खपत के अनुरूप माल नहीं मिल रहा है और आयात पड़ता महंगी है। मुंबई, चेन्नई, कोलकाता किसी भी बंदरगाह पर अधिक माल नहीं है। इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए जानकारों द्वारा बताया जा रहा है कि जुलाई मध्य के बाद से तुवर में अच्छी मजबूती देखने मिल सकती है।