नई दिल्ली। गहने चोरी हो जाएं या कहीं गुम जाएं, अगर यह गलाए नहीं गए हैं तो इनके वास्तविक मालिक की पहचान आसानी से हो सकेगी। दरअसल, जिस तरह देश के सभी नागरिकों की पहचान आधार कार्ड में यूआईडी के जरिए की गई है, ठीक उसी तरह सरकार 1 जुलाई से ज्वेलरी के हर नग की विशिष्ट पहचान (यूआईडी) अनिवार्य बनाने जा रही है।
इस यूआईडी में बेचने वाले ज्वेलर का कोड और ज्वेलरी की पहचान दर्ज होगी। पुलिस या फिर कोई व्यक्ति जैसे ही बीआईएस द्वारा बनाए जा रहे मोबाइल एप में यह यूआईडी डालेगी तो यह पता चल जाएगा कि यह ज्वेलरी कब और कहां से खरीदी गई। ज्वेलर के पास इस बात की जानकारी भी होगी कि इस यूआईडी की ज्वेलरी उसने किस ग्राहक को बेची थी।
हॉलमार्क चार से घटकर तीन होंगे
ज्वेलरी में हॉलमार्किंग काफी समय पहले से हो रही है। उसमें चार मार्क होते हैं, जो बीआईएस का लोगो, शुद्धता, हॉल-मार्किंग सेंटर और ज्वैलर के बार में जानकारी देते हैं। अब नई यूआईडी आधारित हॉल-मार्किंग में मार्क की संख्या चार से घटाकर तीन कर दी गई है। इनमें बीआईएस का लोगो, शुद्धता और तीसरा समग्र सील होगी जो ज्वेलर और ज्वेलरी के बारे में बताएगा। इस व्यवस्था के बाद अशुद्ध और अमानक ज्वेलरी बेचने के कारोबार पर अंकुष लगाने में मदद मिलेगी।
1 सितंबर से लागू होगी हॉलमार्किंग
देश के 256 जिलों में गोल्ड ज्वेलरी (गहनों) की हॉलमार्किंग अनिवार्य हो गई है। इन जिलों में अब से ज्वेलर सिर्फ हॉलमार्किंग वाली ज्वेलरी ही खरीद बेच सकेंगे। सभी ज्वेलरी ट्रेडर्स को अपने पास पड़े पुराने स्टॉक पर हॉलमार्किंग के लिए सरकार ने 1 सितंबर तक का वक्त दिया है। तब तक उन्हें पुराने स्टॉक पर हॉलमार्किंग करवानी होगी। इस दौरान किसी भी व्यापारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।
10% ज्वेलर्स पर भी नहीं है BIS का लाइसेंस
इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) के नेशनल सेक्रेटरी सुरेंद्र मेहता कहते हैं कि सरकार ने ज्वेलर्स को रजिस्ट्रेशन कराने के लिए 1 साल से ज्यादा का समय दिया था, लेकिन देश में इस समय करीब 5 लाख ज्वैलर है जिनमें से करीब 40 हजार लोगों ने इसके लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। यानी 1 साल में 10% ज्वेलर्स ने भी रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है। कई ज्वेलर्स ऐसे हैं जिन्होंने जानबूझ कर इसके लिए रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है।