डायबिटीज के मरीजों को दही खाना फायदेमंद, जानिए कैसे

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डॉ. सुधींद्र श्रृंगी
कोटा।
डायबिटीज एक मेटाबॉलिक डिसऑर्डर है, जिससे दुनिया में लाखों लोग ग्रसित हैं। वैसे तो डायबिटीज के कई उपचार हैं लेकिन दही भी डायबिटीज वालों के लिए बहुत लाभकारी माना गया है। योगर्ट में कई ऐसे पोषक तत्व होते हैं, जो बीमारियों से लड़ने में आपकी मदद करते हैं।

2019 में में छपे एक अध्ययन में भी साबित हो चुका है कि दही जैसे प्रोबायोटिक के कई स्वास्थ्य लाभ हैं। खासतौर से इसमें मधुमेह वाले लोगों में ग्लूकोज लेवल को कंट्रोल करने या उभरती स्थिति को कम करने के तमाम गुण हैं। तो चलिए जानते हैं कि दही कैसे डायबिटीज रोगी के लिए फायदेमंद है। इसके साथ यह भी जानेंगे कि आखिर दही और डायबिटीज के बीच क्या कनेक्शन है।

​दही में मौजूद पोषक तत्व
प्रोबायोटिक दही प्रोटीन का एक बड़ा स्त्रोत है। इसमें नौ जरूरी अमीनो एसिड होते हैं। USDA के अनुसार, 100 ग्राम योगर्ट में 87.9 ग्राम पानी, 3.47 ग्राम प्रोटीन, 121 मिग्रा कैल्शियम, 0.05 मिग्रा आयरन, 12 मिग्रा मैग्नीशियम, 95 मिग्रा फास्फोरस, 155 मिग्रा पोटेशियम, 46 मिग्रा सोडियम, .59 मिग्रा जिंक, 2.2 मिग्रा सेलेनियम, 12 मिग्रा- फ्लोराइड, 7 मिग्रा- फोलेट, 15.2 मिग्रा- कोलाइन, 27 एमसीजी- विटामिन ए, 5 एमसीजी बीटा कैरोटीन, विटामिन ई, डी और के जैसे पोषक तत्व शामिल हैं।

​प्रोबायोटिक दही क्या है
प्रोबायोटिक जीवित सूक्ष्मजीव होते हैं, जिनका पर्याप्त मात्रा में सेवन किया जाए, तो ढेरों स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं। जबकि दही बैक्टीरिया की मदद से दूध को फर्मेंट करके बनाया जाता है। बता दें कि प्रोबायोटिक बैक्टीरिया प्रोबायोटिक दही को बनाने में मदद करते हैं। इसमें स्ट्रेप्टोकॉकस थर्मोफिलस और लैक्टोबैसिलस बुल्गारिकस जैसे बिफिदोबैक्टीरियम, लैक्टोबैसिलस रम्रोसस आस्र बिफिडोबैक्टीरियम लैक्टिस जैसे बैक्टीरिया के कई प्रकार होते हैं।

दही में कौन सा है बेहतर: आप सोच रहे होंगे कि प्रोबायोटिक दही और दही में से अच्छा विकल्प कौन सा है। स्ट्रेप्टोकोकस और लैक्टोबैलीकस युक्त सभी तरह के दही प्रोबायोटिक दही के अंतर्गत ही आते हैं। मूल रूप से जो दही हम बाजार से खरीदते हैं या घर में कल्चर करते हैं, उसमें ये दो तरह के बैक्टीरिया पाए जाते हैं। यह मधुमेह और मोटापे जैसी समस्या से निजात पाने के लिए बहुत अच्छे हैं।

डायबिटीज से बचाए:The Journal Of Nutrition में छपी एक स्टडी के अनुसार, योगर्ट यानी दही का सेवन करने से टाइप-2 डायबिटीज के खतरे को 14 प्रतिशत कम किया जा सकता है। वो भी तब जब आप 80-123 ग्राम दही का सेवन करें। दरअसल, दही के प्रोबायोटिक प्रभाव ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म को कंट्रोल करने और बुजुर्गों में डायबिटीज की रिस्क को कम करने में मदद करता है।

​कोलेस्ट्रॉल लेवल घटाए: बता दें कि डायबिटीज हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल से जुड़ी हुई है। जो ग्लूकोज के मेटाबॉलिज्म को रोकता है और शरीर में फैट लेवल को बढ़ाता है। एक पब्लिश हुई स्टडी के अनुसार, प्रोबायोटिक बैक्टीरिया स्ट्रेन जैसे एसिडोफिलस और बी लैक्टिस में डायबिटीज में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने की अच्छी क्षमता होती है।

एक अध्ययन से पता चला है कि दही का ज्यादा सेवन इसके कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स और कम ग्लाइसेमिक लोड के कारण मधुमेह के कम रिस्क से जुड़ा हुआ है। मीठे दही के मुकाबले 92 प्रतिशत साधारण योगर्ट में कम जीआई होता है। इतना ही नहीं डायबिटीज को रोकने में भी यह आपकी बहुत मदद करता है।

विशेषज्ञों की मानें, तो अच्छी क्वालिटी और प्रकार के योगर्ट चुनने के लिए प्रोडक्ट के लेबल पर गौर करना जरूरी है। बाजार में मिलने वाले कई योगट्र्स में शक्कर मिलाई जाती है। ऐसे में आप उस तरह के दही का चुनाव करें, जिसमें 10-15 प्रतिशत काब्र्स या 9 ग्राम चीनी मिलाई गई हो।