नई दिल्ली। चीन में खाद्य तेलों की खपत बढ़ जाने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खाद्य तेलों की कीमतों में उछाल आया है। इसका सीधा असर भारत के घरेलू बाजार पर पड़ा है जो अपनी कुल खाद्य तेल की जरूरत का 70 प्रतिशत हिस्सा विदेशों से आयात करता है। भारतीय बाजारों में खाद्य तेलों की कीमतें 170-180 रुपये प्रति लीटर से 200 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गई हैं। इससे किचन के साथ-साथ नाश्ते में इस्तेमाल होने वाली चीजों के दाम भी बढ़ गए हैं।
भारत की कुल जरूरत
दी सेंट्रल आर्गेनाइजेशन फॉर आयल इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड के अनुसार अनुमानत: भारत में प्रति वर्ष लगभग 2.5 करोड़ लीटर खाद्य तेल की खपत होती है। अपने घरेलू उत्पादन से भारत इसमें से केवल 90 लाख लीटर के आसपास की जरूरत पूरी कर पाता है। बाकी 1.40 या 1.50 करोड़ लीटर खाद्य तेल के लिए भारत अर्जेंटीना, कनाडा, मलयेशिया, ब्राजील और अन्य दक्षिणी अमेरिकी देशों पर निर्भर करता है।
इस आयात के लिए भारत भारी कीमत भी चुका रहा है। वर्ष 1994-95 में भारत अपनी कुल जरूरत का केवल 10 प्रतिशत हिस्सा खाद्य तेल आयात करता था, जो इस समय बढ़कर 70 प्रतिशत के करीब हो चुकी है। अनुमानत: केवल खाद्य तेलों के आयात पर भारत प्रति वर्ष 75-80 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है जो भारत के कुल आयात का लगभग 2.5 प्रतिशत है।
चीन में बढ़ी खपत
चीन की विशाल आबादी के लिए उसकी खाद्य तेल की जरूरतें लगातार बढ़ रही हैं। वहां के खानपान में आ रहा बदलाव भी चीन में खाद्य तेलों की खपत बढ़ा रहा है। सामान्य तौर पर चीन के समाज में उबले भोजन की प्रमुखता थी, लेकिन अंतरराष्ट्रीय खानपान का चलन बढ़ने से वहां भी फ्राइड और तले भोजन की खपत बढ़ रही है। अपनी इस जरूरत को पूरा करने के लिए चीन भारी कीमत पर अंतरराष्ट्रीय बाजार से तेल खरीद रहा है, जिसके कारण कीमतें बढ़ रही हैं।
भारत में भी खपत बढ़ी
खानपान में बदलाव के कारण केवल चीन में ही नहीं, भारत में भी खाद्य तेलों की मांग नहीं बढ़ी है। 2012-13 में भारत में 15.8 किलोग्राम प्रति व्यक्ति की खपत होती थी, अब यह बढ़कर 19-20 किलोग्राम प्रति व्यक्ति हो गई है। यानी खपत में 20 से 30 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चेतावनी के बाद भी तली-भुनी चीजों की खपत लगातार बढ़ने के फलस्वरूप लोग अनेक तरह की बीमारियों से ग्रस्त भी हो रहे हैं।
खाद्य तेलों की खेती का रकबा बढ़ाने पर विचार
भारत अपनी कुल खपत का लगभग 30 प्रतिशत खाद्य तेल उत्पादित करता है। केंद्र सरकार की योजना है कि अगर भारत के खाद्य तेल का उत्पादन वर्ष 2025-30 तक बढ़ाकर तीन गुना कर दिया जाए, तो देश को इस मामले में आत्मनिर्भर किया जा सकता है। इसके लिए सरकार खाद्य तेलों की खेती का रकबा बढ़ाने के साथ जीएम सीड्स का इस्तेमाल बढ़ाने पर भी विचार कर रही है।
जीएम सीड्स के इस्तेमाल को लेकर देश में कुछ गतिरोध अवश्य था, लेकिन अभी भी भारत, अर्जेंटीना और मलयेशिया जैसे देशों से जो खाद्य तेल आयात कर रहा है, उसमें जीएम सीड्स से उत्पादित तेलों की बड़ी मात्रा है। यही कारण है कि अब विशेषज्ञ भारत में भी इसके इस्तेमाल को बढ़ाने की सलाह दे रहे हैं।
केंद्र सरकार की नवीनतम जानकारी के अनुसार, खाद्य तेलों के साथ-साथ दलहन और अन्य फसलों की बुवाई का रकबा भी सुधर रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक 80.46 लाख हैक्टेयर में फसलों की बुवाई हो चुकी है। यह पिछले वर्षों की तुलना में 21.10 प्रतिशत ज्यादा है। खाद्य तेल का रकबा 9.78 लाख हैक्टेयर से बढ़कर 10.87 लाख हैक्टेयर हो चुका है।