डॉ. दीप्ति शर्मा
कोटा। थायरॉइड एक ऐसी बीमारी है, जो दुनियाभर में बहुत लोगों को होती है। आज 10 में से 4 लोग इस बीमारी से ग्रस्त हैं। थायरॉइड हार्मोन बॉडी के मेटाबॉलिज्म को रेगुलेट करते हैं। यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जहां आप जो खाना खाते हैं, वह ऊर्जा में बदल जाता है और इसी ऊर्जा का इस्तेमाल शरीर द्वारा पूरे सिस्टम को काम करने के लिए किया जाता है।
कहने को तो यह बीमारी बहुत आम है, बावजूद इसके लोग थायरॉइड के बारे में नहीं जानते। इनमें वो लोग भी हैं, जिन्हें खुद ये बीमारी है। इनमें से एक हैं इसके मेडिकल टर्म्स । अगर आप थायरॉइड से पीड़ित हैं और जब थायरॉइड के लिए खुद का टेस्ट कराते हैं, तो रिपोर्ट में T1, T2, T3, T4 TSH जैसे टर्म्स लिखे होते हैं। लेकिन क्या आप इनके बारे में जानते हैं । शायद नहीं। अगर आप खुद एक थायरॉइड रोगी हैं, तो रिपोर्ट में दिए गए इन टर्म्स के बारे में जरूर पता होना चाहिए। बता दें कि ये सभी थायरॉइड हार्मोन्स के तकनीकी नाम हैं ।
क्या होता है थायरॉइड: थायरॉइड एक एंडोक्राइन ग्लैंड है, जो गर्दन के अंदर और कोलरबोन के ठीक ऊपर स्थित होती है। यह तितली के आकार की एक ग्रंथि है, जो आपके शरीर की अन्य ग्रंथियों की तरह ही काम करने में मदद करती है। थायरॉइड ग्रंथि हार्मोन बनाती है। अगर ग्रंथि ठीक से काम न करे, तो यह शरीर में कई समस्याओं का कारण बन सकती है। आमतौर पर थायरॉइड दो प्रमुख हार्मोन पैदा करती है ट्राईआयोडीनथायरोक्सिन यानी T3 और थायरॉक्सिन यानी T4 ।
यदि आपका शरीर बहुत अधिक थायरॉइड हार्मोन बनाता है, तो यह हायपरथायरॉइडिज्म नामक स्थिति का संकेत है और अगर आपका शरीर बहुत कम थायरॉइड हार्मोन बनाता है, तो इसे हाइपोथायरायडिज्म कहा जाता है। दोनों ही स्थितियों में चिकित्सा की जरूरत होती है। देखा जाए, तो डॉक्टर थायरॉइड हार्मोन लेवल के बारे में जानने के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट जैसे T4 और TSH करवाने का सुझाव देते हैं।
थायरॉइड में क्या है T0, T1, T2, T3, T4 और TSH: थायराइड की रिपोर्ट में लिखे जाने वाले टर्म्स जैसे T0, T1, T2, T3, T4 और TSH क्या हैं, आप शायद नहीं जानते होंगे। दरअसल, ये थायरॉइड के लेवल के लिए किए जाने वाले टेस्ट होते हैं। इससे ये पता चलता है कि आपकी थायरॉइड ग्रंथि कितने अच्छे से काम कर रही है। T0, T1, T2 -ये हार्मोन प्रीकर्सर्स और थायरॉइड हार्मोन के उपोत्पाद हैं। ये थायरॉइड हार्मोन रिसेप्टर पर काम नहीं करते और पूरी तरह से निष्क्रिय रहते हैं।
T3 टेस्ट- T3 टेस्ट ट्राईआयोडोथायरोनिन लेवल की जांच करता है। यह टेस्ट आमतौर पर तब कराने के लिए कहा जाता है जब T4 और TSH के बाद हाइपोथायरायडिज्म की आंशका हो। अगर आपमें ओवरएक्टिव थायरॉइड ग्लैंड के लक्षण दिख रहे हैं, तो इस स्थिति में भी डॉक्टर T3 टेस्ट करवाने के लिए कह सकते हैं। । T3 की नॉर्मल रेंज 100-200 ng/dL होती है। अगर रेंज इससे ज्यादा हो जाए, तो यह ग्रेव्स नामक बीमारी का संकेत देता है। यह हाइपोथायरायडिज्म से जुड़ा एक ऑटो इम्यून विकार है।
थायरॉइड T3 और T4: एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में थायरॉइड T3 और T4 हार्मोन्स सही मात्रा में बनाता है। अगर जरा भी गड़बड़ी हो जाए, तो ये घट बढ़ सकते हैं। शरीर में इन दो लेवल को कंट्रोल करता है टीएसएच हार्मोन। जिसे थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन कहते हैं। आमतौर पर T4 और TSH को साथ में कराने की सलाह दी जाती है। T4 टेस्ट को थायरॉक्सिन टेस्ट कहते हैं। T4 का हाई लेवल ओवरएक्टिव थायरॉइड ग्लैंड की ओर इशारा करता है। इसके सामान्य लक्षणों में चिंता, वजन घटना, कंपकंपी और दस्त शामिल हैं।
TSH टेस्ट –जबकि TSH टेस्ट आपके ब्लड में थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन्स को मापते हैं। इसमें पता लगाया जाता है कि थायरॉइड ग्रंथि ठीक से काम कर रही है या नहीं। ये अंडरएक्टिव या ओवरएक्टिव तो नहीं है। क्योंकि ये दोनों ही स्थितियां खतरनाक होती हैं। इसका नॉर्मल टेस्ट रेंज 0.4 -4.0 mIU/L के बीच होती है। यदि आपका TSH का स्तर 2.0 से ज्यादा है, तो अंडरएक्टिव थायरॉइड यानी हाइपोथायरॉडिज्म बढ़ने का खतरा है। इसमें आपको वजन बढ़ने , थकान , अवसाद और नाखूनों के टूटने जैसे लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है। जबकि TSH का कम स्तर ओवरएक्टिव थायरॉइड की निशानी है। इसका मतलब ये है कि शरीर में आयोडीन का स्तर बहुत बढ़ गया है।
कम काम करने वाली थायरॉइड ग्लैंड में नवजात शिशुओं में T4और TSH दोनों ही टेस्ट नियमित रूप से किए जाते हैं। यदि अनुपचारित छोड़ दिया जाए, तो यह डेवलपमेंट डिसेबिलिटी का खतरा बढ़ा सकता है।