आधी फर्में ही बना रहीं ई-चालान, कर चोरी का जताया अंदेशा

0
1039

नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत अनुपालन को सुगम बनाने और कर चोरी रोकने के मकसद से सात महीने पहले सरकार ने ई-चालान (ई-इन्वॉयसिंग) सुविधा शुरू की थी। लेकिन सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि कुल पात्र जीएसटी आइडेंटिफिकेशन नंबर (जीएसटीआईएन) में से आधे ही ई-चालान जारी कर रहे हैं।

जीएसटी परिषद की शुक्रवार को होने वाली बैठक में इस अंतर को पाटने के लिए निजी वित्तीय तकनीकी कंपनियों को लाने पर चर्चा की जाएगी ताकि चालान जारी करने वाले चार अन्य पोर्टल बनाए जा सकें। अभी ई-चालान जिस पोर्टल पर तैयार किया जाता है उसका संचालन राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) द्वारा किया जाता है।

नए पोर्टल बनने से बड़ी संख्या में ई-चालान जारी करने की व्यवस्था लागू करने में मदद मिलेगी। क्योंकि सरकार का लक्ष्य सभी कंपनियों के लिए ई-चालान अनिवार्य करने का है और इसे बिजनेस-टु-कस्टमर लेनदेन पर भी लागू करने की तैयारी की जा रही है। इसके साथ ही इस कदम का मकसद प्रतिस्पर्धा के जरिये दक्षता को बढ़ावा देना है और करदाताओं को ई-चालान बनाने के लिए अपनी पसंद का पोर्टल चुनने का विकल्प दिया जाएगा।

एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘ई-चालान प्रणाली में कुछ चुनौतियां हैं, जिन्हें दूर करने की जरूरत है और इस पर जीएसटी परिषद की बैठक में चर्चा की जाएगी। केवल एक ई-चालान पोर्टल से काम नहीं चलेगा क्योंकि हमारी योजना ई-चालान के लिए सालाना कारोबार की सीमा को कम करने की है। हम परिषद के समक्ष फिनटेक क्षेत्र की भरोसेमंद और कुशल कंपनियों को ई-चालान जारी करने वाले पोर्टल बनाने की अनुमति देने का प्रस्ताव रखेंगे।’

निजी ई-चालान पोर्टल के लिए कारोबारों को नि.शुल्क ई-चालान पंजीकरण सेवा देना अनिवार्य किया जाएगा। हालांकि उन्हें ग्राहकों को अलग से कुछ सेवाएं देने की अनुमति मिल सकती है, जिसके लिए वे शुल्क ले सकते हैं। एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘इस मॉडल को जीएसटी सुविधा प्रदाताओं के लिए भी अपनाया गया है।’

ई-चालान प्रणाली को अक्टूबर 2020 में शुरू किया गया था और 500 करोड़ रुपये सालाना कारोबार करने वाली इकाइयों के लिए इसे अनिवार्य किया गया था। 1 जनवरी से 100 करोड़ रुपये कारोबार वाली इकाइयों और इस साल 1 अप्रैल से 50 करोड़ रुपये कारोबार वाली इकाइयों को बिजनेस-टु-बिजनेस के लिए भी इसके दायरे में लाया गया है।

50 करोड़ रुपये सालाना कारोबार वाली करीब 24 लाख जीएसटीआईएन इकाइयां हैं, जो ई-चालान के लिए पात्र हैं लेकिन जीएसटी परिषद की 43वीं बैठक के एजेंडे के आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल में केवल 11.8 लाख इकाइयों ने ई-चालान बनाए हैं।