नई दिल्ली। ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण के तेज प्रसार के बावजूद गरमी की फसलों का बोआई रकबा 22 फीसद से अधिक बढ़ गया है। इससे दलहनी, तिलहनी और मोटे अनाज की खेती बल मिला है। पिछले वर्ष इन फसलों का बोआई रकबा 66 लाख हेक्टेयर था जो बढ़कर इस बार 80 लाख हेक्टेयर से अधिक पर पहुंच गया है। गरमी सीजन की फसलों की बोआई अपने अंतिम दौर में है। मक्का व बाजरा जैसे अनाज के साथ दलहन और तिलहनी फसलों की खेती हुई है। इसी दौरान जायद सीजन की सब्जियों खेती भी जमकर हुई है। कुछ राज्यों में इस सीजन में धान की खेती भी होती है और उसका रकबा भी बढ़ा है।
मौसम अनुकूल होने से फसलों की पैदावार में वृद्धि का अनुमान है। सरकारी प्रोत्साहन से गरमी सीजन की कम अवधि वाली फसलों की खेती पर किसानों का पूरा जोर है। दलहनी फसलों का रकबा 10.61 लाख हेक्टेयर से 67.76 फीसद बढ़कर 17.80 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। मूंग, उड़द और अरहर की बोआई अधिक हुई है। इसी तरह मोटे अनाज वाली फसलों की खेती का रकबा 11.62 लाख हेक्टेयर से बढ़कर इस बार 12.14 लाख हेक्टेयर हो गया है।
तिलहनी फसलों का रकबा पिछले साल के 9.63 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 10.82 लाख हेक्टेयर हो गया है। कुल 12.38 फीसद तक की वृद्धि दर्ज की गई है। जबकि इस सीजन में धान का बोआई रकबा पिछले साल के 34.13 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 39.43 लाख हेक्टेयर हो गया है।
रबी और खरीफ सीजन के बीच अल्पकालिक जायद की फसल का भी दौर आता है। इस सीजन की खेती से किसानों को अतिरिक्त आमदनी और रोजगार के मौके उपलब्ध हो जाते हैं। इस दौरान बोई जाने वाली दलहनी फसलों के चलते मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ जाती है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक जिन राज्यों में इसकी खेती का रकबा बढ़ा है उनमें तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, बंगाल, उत्तर प्रदेश, गुजरात, बिहार, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और कर्नाटक प्रमुख हैं।