नई दिल्ली। पूरे देश में बढ़ते कोरोना मामलों के बीच लोगों में भारी टेंशन हैं। इससे घबराकर लोग तरह-तरह के उपाय करने लग जाते हैं जोकि और भी ज्यादा घातक सिद्ध हो रहा है। एम्स निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया (Dr. Randeep Guleria) ने बताया कि जो भी मरीज बार-बार सीटी स्कैन करा रहे हैं वो जान लें कि वो एक बड़ा खतरा मोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि सीटी स्कैन (CT Scan For Corona Patient) से कैंसर होने का खतरा हो रहा है।
सीटी स्कैन करा रहे हैं लोग
डॉ. गुलेरिया ने कहा रेडिएशन के एक डेटा का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि लोग तीन-तीन दिन में सीटी स्कैन करा रहे हैं। इसके अलावा गुलेरिया ने एक और खास बात यहां बताई। उन्होंने कहा कि अगर आप पॉजिटिव हैं और आपको हल्के लक्षण हैं तो आपको सीटी स्कैन कराने की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि सीटी स्कैन कराने में जो रिपोर्ट सामने आती है उसमें थोड़ी बहुत चकत्ते आ जाते हैं जिसको देखकर मरीज परेशान हो जाता हैं।
300 चेस्ट एक्सरे के बराबर
डॉ. गुलेरिया ने कहा कि अगर मरीज होम आइसोलेशन में है और माइल्ड इंफेक्शन है तो सीटी स्कैन ना कराएं। उन्होंने कहा कि एक सीटी स्कैन से करीब 300 चेस्ट एक्सरे के बराबर रेडिएशन होता है। खासकर यंग एज में बार बार सीटी स्कैन कराने से बाद में कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि बिना जरूरत के सीटी स्कैन कराने से आप खुद को नुकसान पहुंचा रहे हैं। डॉ. गुलेरिया के मुताबिक अगर माइल्ड इंफेक्शन है और मरीज होम आइसोलेशन में है साथ ही ऑक्सिजन सेचुरेशन ठीक है तो सीटी स्कैन ना कराएं। अगर जरूरत हो तो पहले चेस्ट एक्सरे करा सकते हैं और जरूरत पड़ने पर बाद में सीटी स्कैन कराएं।
रेमिडिसिवर, टॉसलीजुमैब और प्लाज्मा नहीं है मुख्य ट्रीटमेंट
डॉ. गुलेरिया ने कहा कि कोरोना के मॉडरेट केस में भी मुख्य ट्रीटमेंट ऑक्सिजन है। ऑक्सिजन भी दवा है। उसके बाद स्टेरॉयड की जरूरत पड़ सकती है और ब्लड क्लॉटिंग ना हो इसके लिए एंटी कॉगलेंट। कोरोना के ये तीन ही मुख्य ट्रीटमेंट हैं। रेमडिसिविर, टॉसलीजुमैब और प्लाज्मा ये बाद में आता है। ये इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए हैं। अगर मरीज को ऑक्सिजन, स्टेरॉयड और एंटी कॉगलेंट मिल रही है तो बाकी चीजों की जरूरत नहीं है। स्टडी भी यही कहती हैं।
हल्के लक्षण में कोई दवा की जरूरत नहीं
डॉ. गुलेरिया के मुताबिक अगर आप कोरोना पॉजिटिव हैं मगर आपको सांस लेने में कोई परेशानी नहीं हो रही है, आपका ऑक्सिजन लेवल ठीक है और तेज बुखार नहीं आ रहा है तो बिल्कुल घबराने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि न ही पॉजिटिव मरीज को ज्यादा दवाएं लेनी चाहिए। ये दवाएं उल्टा असर करती हैं और मरीज की सेहत खराब होने लगती है। एम्स डायरेक्टर ने कहा कि लोग बार-बार खून की जांच करवाते हैं जबकि जब तक डॉक्टर न कहें तो खुद से ही ये सब न करें। इससे आपको और टेंशन पैदा होती है।
कैंसर का खतरा!
एम्स निदेशक ने कहा होम आइसोलेशन में रह रहे लोग अपने डॉक्टर से संपर्क करते रहें। सेचुरेशन 93 या उससे कम हो रही है, बेहोशी जैसे हालात हैं, छाती में दर्द हो रहा है तो एकदम डॉक्टर से संपर्क करें। उन्होंने आगे कहा कि आजकल बहुत ज़्यादा लोग सीटी स्कैन करा रहे हैं। जब सीटी स्कैन की जरूरत नहीं है तो उसे कराकर आप खुद को नुकसान ज़्यादा पहुंचा रहे हैं क्योंकि आप खुद को रेडिएशन के संपर्क में ला रहे हैं। इससे बाद में कैंसर होने की संभावना बढ़ सकती है।