कंपोजीशन वाले भी अब दायरे में , विशेषज्ञों की राय में 75 लाख रुपए से कम टर्नओवर वाले कारोबारियों के लिए बढ़ेगा कंप्लायंस का बोझ
नई दिल्ली। सरकार ने जीएसटी के तहत ई-वे बिल के नियम नोटिफाई कर दिए हैं। हालांकि इसके लागू होने की तारीख की घोषणा बाद में होगी। सूत्रों का कहना है कि यह 1 अक्टूबर से अमल में सकता है। 5 अगस्त को जीएसटी काउंसिल की बैठक में इसके प्रावधानों को अंतिम रूप दिया गया था। ड्राफ्ट नियमों में एक संशोधन किया गया है।
जिन वस्तुओं पर जीएसटी नहीं लगता है, उनके लिए ई-वे बिल जरूरी नहीं होगा। ड्राफ्ट में इसे सबके लिए जरूरी बताया गया था। यह रोड, रेल, एयर और जल मार्ग सब पर लागू होगा।
इसके लिए फॉर्म जीएसटी ईडब्लूबी-01 भरना होगा।
नियमों के मुताबिक 50,000 रुपए से ज्यादा का सामान 10 किलोमीटर से अधिक दूरी तक ले जाना है तो पहले जीएसटी नेटवर्क पर उसका ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना पड़ेगा। वहीं से बिल जेनरेट होगा। ई-वे बिल एक से 20 दिनों तक मान्य होगा।
इसका आईटी प्लेटफॉर्म नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर तैयार कर रहा है। लॉ फर्म एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के पार्टनर रजत मोहन ने बताया कि ये नियम कंपोजीशन स्कीम वाले कारोबारियों पर भी लागू होंगे। इसलिए 75 लाख से कम टर्नओवर वाले कारोबारियों के लिए कंप्लायंस का बोझ बढ़ेगा।
यह हैं नियम
- बिल जेनरेट करने की पहली जिम्मेदारी सामान भेजने वाले की होगी।
- सामान भेजने वाला अनरजिस्टर्ड और पाने वाला रजिस्टर्ड है तो पाने वाला बिल बनाएगा।
- गाड़ी में कई लोगों के सामान हैं तो कंसोलिडेटेड बिल बनाना पड़ेगा
- गाड़ी में एक से ज्यादा व्यक्ति का सामान है तो ट्रांसपोर्टर को कंसोलिडेटेड बिल (ईडब्लूबी-02) बनाना पड़ेगा। इसमें सबके ई-वे बिल का सीरियल नंबर देना होगा।
- ट्रांसपोर्ट के वक्त गाड़ी वाले को अपने साथ इनवॉयस या बिल ऑफ सप्लाई के साथ ई-वे बिल की कॉपी या नंबर भी रखना पड़ेगा।
- सामान भेजने और पाने वाले दोनों अनरजिस्टर्ड तो ट्रांसपोर्टर बनाएगा बिल
- हर 100 किमी के लिए 1 दिन
- जांच अधिकारी को 24 घंटे में अपलोड करनी पड़ेगी रिपोर्ट
- ट्रांसपोर्टर बीच रास्ते में एक वाहन से दूसरे वाहन में सामान ट्रांसफर करता है तो उसे पोर्टल पर इसकी जानकारी देनी पड़ेगी।
- अगर दोनों रजिस्टर्ड नहीं हैं तो बिल ट्रांसपोर्टर को जेनरेट करना पड़ेगा।
- 50,000 रुपए से ज्यादा का सामान 10 किलोमीटर से अधिक दूरी तक ले जाना है तो ई-वे बिल जरूरी होगा
एक राज्य में एक बार चेकिंग
टैक्सअधिकारी को गाड़ी रोककर बिल के मुताबिक चेकिंग करने का अधिकार होगा। जांच के 24 घंटे के भीतर अधिकारी को इसकी समरी रिपोर्ट और 3 दिन में फाइनल रिपोर्ट अपलोड करनी पड़ेगी। एक राज्य में एक बार ही चेकिंग होगी। हालांकि विशेष सूचना के आधार पर दोबारा चेकिंग की जा सकती है।
पोर्ट, एयरपोर्ट से कंटेनर डिपो तक समान भेजने पर बिल जरूरी नहीं
- राज्य के भीतर 10 किलोमीटर से कम दूरी तक सामान ले जाना है तो ई-वे बिल जरूरी नहीं।
- मोटर गाड़ी के अलावा दूसरे वाहन से सामान ले जाने के लिए ई-वे बिल नहीं चाहिए।
- पोर्ट, एयरपोर्ट, एयरकार्गो कॉम्प्लेक्स और कस्टम स्टेशन से कंटेनर डिपो तक सामान ले जाने के लिए भी इसकी जरूरत नहीं होगी।
रत्नाभूषण को ई-वे बिल से छूट
जीएसटी काउंसिल ने मूंगा समेत सभी रत्न आभूषणों को ई-वे बिल से छूट दे दी है। रत्नाभूषण निर्यात संवर्धन परिषद यानी जेजीईपीसी के राजस्थान चैप्टर के अध्यक्ष प्रमोद अग्वाल ने बताया कि इसके लिए 30 अगस्त को ही अधिसूचना जारी कर दी गई थी।
उन्होंने बताया कि जेजीईपीसी राज्य सरकार ने रत्न आभूषणों को ई-वे बिल से छूट के लिए काफी प्रयास किए थे। ई-वे बिल से छूट मिलने से प्रदेश रत्नाभूषण व्यवसायियों को कारोबार में आसानी होगी। जयपुर रंगीन रत्नों की मंडी है और रंगीन रत्नों का सालाना कारोबार करीब 5,000 करोड़ रुपए का है।
ई-वे बिल एक से 20 दिनों तक के लिए मान्य होगा। हर 100 किलोमीटर के लिए मान्यता अवधि औसतन एक दिन होगी। तय समय में अगर सामान नहीं भेजा गया तो ट्रांसपोर्टर को उसकी जगह नया बिल जेनरेट करना पड़ेगा।