जुलाई की मंदी से उबरा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर

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नई दिल्ली। देश के विनिर्माण क्षेत्र में नए ऑर्डर मिलने, उत्पादन और रोजगार गतिविधियां बढ़ने से अगस्त माह में उछाल दर्ज किया गया। एक सर्वेक्षण में यह निष्कर्ष सामने आया है। इसमें कहा गया है कि विनिर्माण क्षेत्र जीएसटी लागू होने की वजह से जुलाई की मंदी से उबरकर अगस्त 2017 में तेजी से आगे बढ़ा है।

निक्केई इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) अगस्त माह में उछलकर 51.2 पर पहुंच गया। एक माह पहले जुलाई में यह 47.9 पर था। जीएसटी के 1 जुलाई से लागू होने के चलते विनिर्माण क्षेत्र में गतिविधियां काफी धीमी पड़ गई थी। अगस्त में क्षेत्र इस स्थिति से उबर गया।

पीएमआई सूचकांक 50 से ऊपर होने पर यह विस्तार का संकेत देता है जबकि इससे कम अंक मिलने पर यह क्षेत्र में गिरावट का सूचक होता है। रिपोर्ट तैयार करने वाली आईएचएस मार्केट की प्रधान अर्थशास्त्री पोलियाना डे लीमा ने कहा, ‘अगस्त पीएमआई दर्शाता है कि भारत में विनिर्माण क्षेत्र जुलाई के जीएसटी लागू होने झटके से उबर गया है।’

सर्वे रिपोर्ट के अनुसार विनिर्माण क्षेत्र के सभी तीनों उप-क्षेत्रों में व्यापक सुधार दर्ज किया गया। पूंजीगत सामानों के क्षेत्र ने उत्पादन वृद्धि दर के मामले में उपभोक्ता और मध्यवर्ती सामानों के क्षेत्र को पीछे छोड़ते हुई बाजी मारी है। इससे भी बढ़कर बात यह है कि इस दौरान बढ़े काम के बोझ से उबरने के लिये विनिर्माताओं ने अतिरिक्त स्टाफ रखा है।

मार्च 2013 के बाद यह सबसे तेजी से काम बढ़ा है। लीमा ने कहा, ‘जुलाई में कंपनियों ने संकेत दिया था कि नई कर व्यवस्था के बारे में स्पष्टता नहीं होने की वजह से वह अपने ऑर्डर, उत्पादन और खरीद को आगे के लिए टाल रहे हैं, लेकिन अब उन्होंने काम तेजी से शुरू कर दिया है।

विनिर्माताओं, आपूर्तिकर्ताओं और उनके ग्राहक सभी को जीएसटी दरों के बारे में काफी कुछ जानकारी और स्पष्टता मिल चुकी है। लीमा ने महंगाई के मोर्चे पर कहा कि इनपुट लागत से जुड़ी मुद्रास्फीति एक साल की नरमी में पहुंच गई है। जीएसटी लागू होने से कुछ वस्तुओं के दाम बढ़े हैं तो कुछ वस्तुओं के दाम कम भी हुए हैं।

आने वाले समय में भारतीय विनिर्माण क्षेत्र में उत्साह वृद्धि संभावनाओं के आसपास बने रहने की उम्मीद है। हालांकि, नीतिगत स्तर पर अप्रत्याशित निर्णय की आशंका में विश्वास स्तर को लेकर चिंता बनी हुई है और यही वजह है कि धारणा जुलाई के 11 माह के उच्चस्तर से नीचे रही है।

लीमा ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2015-16 में रफ्तार कुछ सुस्त पड़ने के बाद आईएचएस मार्किट ने भारतीय अर्थव्यवस्था के 2016- 17 में कुछ सुधरने का अनुमान लगाया है जिसमें जीडीपी वृद्धि 7.3 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।’ चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर तीन साल के निम्न स्तर 5.7 प्रतिशत रह गई है।

नोटबंदी का असर लगातार तीसरी तिमाही पर दिखाई दिया है। जुलाई में जीएसटी लागू होने के दौरान विनिर्माण गतिविधियां कमजोर पड़ गई थी। पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही (जनवरी से मार्च 20017) जो कि माना जा रहा था कि नोटबंदी से काफी प्रभावित रही, में जीडीपी वृद्धि 6.1 प्रतिशत रही थी।