मुंबई। कोरोना महामारी और ओपेक देशों के तेल उत्पादन बढ़ाने पर राजी होने के चलते कच्चे तेल की कीमत एक बार फिर कम होने लगी हैं। बीते 1 महीने में ही इसके दामों में इसकी कीमत में 9% की कमी आई है। पिछले महीने मार्च में कच्चा तेल 69 डॉलर प्रति बैरल पर थीं। जो अब 63 डॉलर से भी कम पर आ गई हैं। हालांकि इस दौरान जनता को पेट्रोल-डीजल की बढ़ी हुई कीमतों से कोई खास राहत नहीं मिली है। बीते 1 महीने में पेट्रोल 61 पैसे और डीजल 60 पैसे सस्ता हुआ है।
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने रविवार को कहा था कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम घटेंगे तो उसका पूरा फायदा हम ग्राहक को देंगे। हालांकि मोदी सरकार में बीते 7 सालों में कच्चा तेल 41% सस्ता हुआ लेकिन पेट्रोल 27 और डीजल 43% महंगा हुआ है। ऐसे में आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीजल कितना सस्ता होता है ये देखने वाली बात होगी।
55 डॉलर तक जा सकता है कच्चे तेल का दाम
केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया कहते है कि देश और दुनिया में कोरोना महामारी एक बार फिर फैलने लगी है। इसके चलते कई जगहों पर लॉकडाउन लगाया गया है। इससे पेट्रोल-डीजल की मांग में गिरावट आने की संभावना है। इसके अलावा ओपेक देशों ने मई से तेल उत्पादन बढ़ाने की बात भी कही है। ऐसे में कच्चा तेल आने वाले महीनों में 55 डॉलर तक आ सकता है।
मोदी सरकार ने 7 सालों में नहीं दिया फायदा
आपको तो पता ही होगा कि पेट्रोल-डीजल कच्चे तेल से बनता है। और कच्चे तेल के दामों का असर पेट्रोल-डीजल कीमतों पर सीधे तौर पर पड़ता है। मई 2014 में जब मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने, तब कच्चे तेल की कीमत 106.85 डॉलर प्रति बैरल थी। वहीं अभी कच्चे तेल की कीमत 63 डॉलर प्रति बैरल पर है। इसके बावजूद भी पेट्रोल के दाम घटने के बजाए बढ़कर 100 रुपए प्रति लीटर के पार पहुंच गए हैं।