नई दिल्ली। नैशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के मुताबिक फाइनेंशियल ईयर क्लोजिंग के कारण कुछ बैंकों में यूपीआई और आईएमपीएस ट्रांजैक्शन फेल हो गए। NPCI ने शुक्रवार को ट्वीट किया कि अधिकांश बैंक सिस्टम नॉर्मल हो गए हैं और कस्टमर आईएमपीएस और यूपीआई सर्विसेज का इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि एनपीसीआई के ट्वीट के जवाब में कई कस्टमर्स का कहना है कि फेल ट्रांजैक्शन की राशि दो दिन बाद भी उनके बैंक अकाउंट में नहीं आई है।
कैसे मिलेगा रिफंड: अब कई लोग सवाल पूछ रहे हैं कि NEFT, RTGS और UPI ट्रांजैक्शन के फेल होने पर कितने दिन में अमाउंट वापस उनके अकाउंट में आ जाएगी। रिजर्व बैंक ने इस मामले में 19 सितंबर 2019 को एक सर्कुलर जारी किया था। इसके मुताबिक अगर किसी कस्टमर के अकाउंट में निर्धारित समय तक पैसा वापस नहीं आता है तो बैंक को रोजाना 100 रुपये के हिसाब के कस्टमर को पेनल्टी देनी होगी।
आरबीआई का सर्कुलर: सर्कुलर के मुताबिक IMPS ट्रांजैक्शन के नाकाम होने की स्थिति में T+1 दिन में कस्टमर के खाते में राशि खुद ब खुद वापस की जानी चाहिए। यहां T का मतलब ट्रांजैक्शन डेट से है। इसका मतलब है कि अगर आज कोई ट्रांजैक्शन फेल होता है तो अगले कार्यदिवस पर यह राशि खाते में वापस जानी चाहिए। अगर बैंक ऐसा नहीं करता है तो उसे कस्टमर को रोजाना 100 रुपये पेनल्टी के हिसाब से भुगतान करना होगा। UPI के मामले में T+1 दिन में कस्टमर के खाते में ऑटो रिवर्सल होना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो बैंक को T+1 दिन के बाद रोजाना 100 रुपये पेनल्टी का भुगतान करना होगा।
Ombudsman से कैसे साधे संपर्क: अगर आपकी ट्रांजैक्शन फेल हो जाती है तो आपको अपने सर्विस प्रोवाइडर द्वारा मामले को सेटल करने के लिए तय टाइमलाइन चेक करनी चाहिए। अगर बैंक निर्धारित टाइमलाइन के भीतर ऐसा नहीं करता है तो आपको सिस्टम प्रोवाइडर या सिस्टम पार्टिसिपेंट के पास शिकायत दर्ज करनी होगी। अगर वह एक महीने के भीतर मामले का समाधान करने में नाकाम रहते हैं तो आप आरबीआई के Ombudsman के पास जा सकते हैं।
आप https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/Content/PDFs/AAOOSDT31012019.pdf के जरिए अपने इलाके के Ombudsman से संपर्क साध सकते हैं। मनी ट्रांसफर के नेचर के मुताबिक आरबीआई ने मामले के सेटलमेंट के लिए अलग-अलग समयसीमा तय कर रखी है।