मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में चने की आवक बढ़ने के आसार

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कोटा। दोनों शीर्ष उत्पादक राज्यों- मध्य प्रदेश एवं राजस्थान की मंडियों में नए चने की आवक बढ़ने लगी है जबकि महाराष्ट्र, कर्नाटक एवं गुजरात जैसे अन्य प्रमुख उत्पादक प्रांतों में भी नया चना तेजी से आने लगा है। इससे चना की आपूर्ति एवं उपलब्धता में वृद्धि हो रही है कीमतों थोड़ा-बहुत दबाव भी देखा जा रहा है। महाराष्ट्र में किसानों में चना का स्टॉक रोकने की प्रवृत्ति देखी जा रही है।

चना का घरेलू उत्पादन 116.20 लाख टन के सरकारी अनुमान से काफी कम होने की संभावना है। यह 85-90 लाख टन के आसपास हो सकता है जो घरेलू मांग एवं खपत के लगभग बराबर ही है। इसके फलस्वरूप चना की मांग एवं आपूर्ति के बीच जटिल संतुलन बना रह सकता है। चूंकि मटर का आयात लगभग बंद हो चुका है जबकि पहले 20-25 लाख टन तक का आयात होता था इसलिए चना की खपत पर दबाव रहेगा। इसे देखते हुए आगामी महीनों के दौरान चना का भाव ऊंचा एवं तेज हो सकता है।

राजस्थान की बारां एवं कोटा मंडी में अच्छी मात्रा में चने की आवक हो रही है। दाल एवं बेसन में मांग कुछ कमजोर रहने से मिलर्स की चिंता बढ़ रही है। चना तथा मसूर का भाव कुछ नरम पड़ा है लेकिन ग्राहकी निकलते ही इसमें तेजी का माहौल बन जाएगा। सरकारी एजेंसी- नैफेड न्यूनतम समर्थन मूल्य पर चना की खरीद के लिए तैयार है। महाराष्ट्र की मंडियों में तुवर की आवक घटने लगी है।

इंदौर की अनेक दाल मिलों द्वारा महाराष्ट्र की मंडियों में तुवर की आवक घटने लगी है। इंदौर की अनेक दाल मिलों द्वारा महाराष्ट्र से तुवर दाल मंगाकर उसकी बिक्री की जा रही है। महाराष्ट्र में तुवर की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। इससे खरीदारों की परेशानी बढ़ गई है। काबुली चना की कुल दैनिक आवक 10-11 हजार बोरी हो रही है। आगामी दिनों में देसी चना की आपूर्ति की रफ्तार बढ़ने की उम्मीद है। अब तक मौसम की हालत सामान्य है। चना का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4875 रुपए से बढ़ाकर 5100 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है।