EPF में निवेश पर टैक्स का प्रावधान वापस ले सकती है सरकार

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नई दिल्ली। सरकार एंप्लॉई प्रोविडेंट फंड (EPF) में निवेश पर टैक्स लिमिट संबंधित नियमों की समीक्षा कर सकती है। माना जा रहा है कि सरकार EPF में 2.5 लाख रुपए से ज्यादा के कंट्रीब्यूशन पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगाने के नियम को खत्म कर सकती है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में कहा था कि जो कर्मचारी EPF में सालाना 2.5 लाख रुपए से ज्यादा कंट्रीब्यूट करेंगे, उन्हें मिलने वाले ब्याज पर टैक्स देना होगा। हालांकि टैक्स एक्सपर्ट्स ने इसकी आलोचना की थी, क्योंकि इससे ज्यादा सैलरी पाने वाले कर्मचारियों द्वारा EPS में निवेश कम होगा। इसके बाद वित्त मंत्री ने कहा कि वे इस नियम की समीक्षा करने को तैयार हैं।

अभी EPF में कंट्रीब्यूशन पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स नहीं लगता है, लेकिन सरकार ने आम बजट में 2.5 लाख रुपए से अधिक के कंट्रीब्यूशन पर होने वाली आय पर टैक्स लगाने का ऐलान किया था। वित्त मंत्री ने कहा कि यह समझने की जरूरत है कि हम इस नियम के तहत ऐसे लोगों को टैक्स दायरे में लाना चाहते थे, जो औसत भारतीयों से ज्यादा पैसा EPF में जमा कर टैक्स छूट का लाभ लेते हैं।

सरकार ने 2016 में भी ऐसा ही एक प्रस्ताव रखा था
सरकार की मंशा EPF में पैसा जमा करने वाले लोगों को हतोत्साहित करना नहीं है। इसलिए हम इस नियम को बदल सकते हैं। इससे पहले 2016 में सरकार ने ऐसा ही एक प्रस्ताव रखा था, जिसके मुताबिक EPF के 60% पर हासिल ब्याज को टैक्स के दायरे में लाया गया था। विरोध के चलते सरकार को फैसला वापस लेना पड़ा था।

सरकार का इरादा EPF को NPS में मर्ज करना नहीं
सूत्रों के मुताबिक सरकार EPF को नेंशनल पेंशन स्कीम (NPS) के साथ मर्ज करने की योजना बना रही है। लेकिन वित्त मंत्री ने साफ किया कि सरकार का इरादा EPF को NPS में मर्ज करना नहीं है। उन्होंने बताया कि EPF अपने मौजूदा स्वरूप में ही जारी रहेगा। मध्यम आय वाल लोगों के लिए EPF में कंट्रीब्यूशन करना आसान है।