नई दिल्ली। देश में अचानक से छोटे कर चोरों के आयकर रिटर्न्स (Income Tax Returns) की रीओपनिंग के मामले बढ़े हैं। इसकी वजह है कि आयकर अधिकारी 50 लाख रुपये तक की कर चोरी के संदेह वाले मामलों में सर्च व सर्वे के लिए जांच इकाइयों को लगा रहे हैं। आकलन वर्ष 2015-16, 2016-17 और 2017-18 के लिए केसेज को फिर से खोला जा रहा है क्योंकि इन आकलन वर्षों में कर चोरी के मामलों के लिए 31 मार्च 2021 के बाद कोई एक्शन नहीं लिया जा सकेगा।
बता दें कि बजट 2021 में टैक्स असेसमेंट की रीओपनिंग के लिए टाइम लिमिट को 6 वर्ष से घटाकर 3 वर्ष किया जाने का प्रस्ताव किया गया है। गंभीर टैक्स चोरी के ऐसे मामलों में जहां एक वर्ष में 50 लाख रुपये या इससे अधिक की आय छिपाने का प्रमाण है, उनमें असेसमेंट की रीओपनिंग 10 साल तक किए जा सकने का प्रस्ताव है।
ये संशोधन अभी अधिसूचित होने बाकी हैं। हालांकि कर अधिकारियों का कहना है कि छोटी कर चोरी के मामलों की रीओपनिंग का बोझ बड़ी कर चोरियों पर से ध्यान भटका सकता है। देशभर में जांच इकाइयों को निर्देश दिया जा चुका है कि कर चोरी के संदेह वाले मामलों से जुड़ी सभी सूचनाओं का मिलान करें और उसे प्रसारित करें, विशेषकर ऐसे मामलों के लिए जिनमें असेसमेंट की रीओपनिंग के लिए टाइम लिमिट 31 मार्च 2021 तक है।
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों को रेवेन्यु घटने की चिंता
1 अप्रैल से शुरू होने वाले नए वित्त वर्ष से असेसिंग अधिकारियों को केवल आकलन वर्ष 2018-19 में हुई 50 लाख रुपये तक की कर चोरी के मामलों को ही दोबारा खोलने की इजाजत होगी। वित्त मंत्रालय को कर चोरी के मामलों में सर्च व सीजर से अच्छा खासा रेवेन्यु हासिल होता है। अब बजट में हुए नए प्रस्ताव से वित्त मंत्रालय के अधिकारियों को इस रेवेन्यु के घटने की चिंता सता रही है। सूत्रों का कहना है कि सेंट्रल अथॉरिटीज ने 2 मार्च तक एक अनुपालन रिपोर्ट की मांग की है, जिसमें छोटे कर चोरों के मामलों की रीओपनिंग का डाटा फील्ड अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत किया गया हो।