मुम्बई। प्रमुख उत्पादक राज्यों में अक्टूबर-नवम्बर 2020 के दौरान हुई भारी वर्षा से हल्दी की फसल को नुकसान हुआ था और इसकी औसत उपज दर में कमी आने से कुल पैदावार 10-15 प्रतिशत घटने की संभावना है। हल्दी का निर्यात बड़े पैमाने पर होता है जबकि जबकि घरेलू प्रभाग में भी इसकी भारी खपत होती है।
हल्दी का पिछला बकाया स्टॉक भी कम है। इस सभी कारणों से आगामी महीनों में हल्दी की कीमतों में तेजी-मजबूती का माहौल बनने की उम्मीद है। फिलहाल वास्तविक उत्पादन का अनुमान लगाना तो कठिन है लेकिन मोटे तौर पर उत्पादन 2019-20 के 85 लाख बोरी से घटकर इस बार 75 लाख बोरी रह जाने की संभावना है। हल्दी की प्रत्येक बोरी 65 किलो की होती है।
व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक हल्दी के बिजाई क्षेत्र में करीब 15 प्रतिशत की गिरावट आई थी जबकि बेमौसमी वर्षा से भी फसल को क्षति हुई। तेलंगाना, आंध्र प्रदेश एवं महाराष्ट्र जैसे शीर्ष उत्पादक राज्यों में मध्य अक्टूबर के आसपास हुई मूसलाधार बारिश ने हल्दी की फसल को कई क्षेत्रों में क्षतिग्रस्त कर दिया था। 75 लाख बोरी के उत्पादन एवं 27 लाख बोरी के संभावित बकाया स्टॉक के साथ हल्दी की कुल उपलब्धता 102 लाख बोरी पर पहुंचने की उम्मीद है।
घरेलू एवं निर्यात मांग को पूरा करने में करीब 85 लाख बोरी का उपयोग होगा और मार्केटिंग सीजन के अंत में 17 लाख बोरी हल्दी का अधिशेष स्टॉक मौजूद रह सकता है। यह गत तीन वर्षों का सबसे कम या छोटा स्टॉक होगा। मंडियों में हल्दी के नए माल की आवक धीमी गति से हो रही है। उत्पादक क्षेत्रों में मौसम अभी पूरी तरह साफ नहीं हुआ है।
निजामाबाद मंडी में हल्दी की आवक गत वर्ष से 20-25 प्रतिशत कम हो रही है। वहां औसतन 25 हजार बोरी की दैनिक आवक हो रही है जबकि पिछले साल 35 हजार बोरी की रोजाना आवक हो रही थी। निजामाबाद के अलावा ईरोड एवं सांगली में भी हल्दी की थोड़ी बहुत आवक हो रही है। मार्च तक आपूर्ति की गति धीमी रहने की संभावना है। उसके बाद आंध्र प्रदेश एवं महाराष्ट्र में आपूर्ति बढ़ेगी। फरवरी के प्रथम पखवाड़े में हल्दी का भाव करीब 24 प्रतिशत बढ़ गया।