कोटा। सड़क सुरक्षा माह के अंतर्गत शहर में विविध जागरूकता कार्यक्रम आयोजित हो रहे है । स्वयंसेवी संस्थाएं, व्यापारिक संगठन व सामाजिक क्लब्स अपने-अपने स्तर पर दुर्घटनाओं में कमी लाने व सड़क सुरक्षा के नियमों की पालना करवाने के लिये गतिविधियां कर रहे है। नुक्कड़ नाटक, संगोष्ठियों व शिविरों का आयोजन से शहर में रोड सेफ्टी त्यौहार का माहौल बना रखा है। वही राजस्थान सरकार के परिवंहन विभाग ने कोटा में भी संस्थाओं के सहयोग नियमित रोड सेफ्टी संबंधित गतिविधियों से शहर में उत्साह तैयार किया है।
शुक्रवार को परिवहन विभाग द्वारा कोटा सड़क सुरक्षा समिति व लायंस क्लब कोटा टेक्नो के संयुक्त सहयोग से नेत्र जाँच व परामर्श शिविर का आयोजन किया गया। कोटा सड़क सुरक्षा समिति के उपसचिव व संयोजक भुवनेश गुप्ता ने बताया कि शिविर का शुभारंभ प्रादेशिक परिवहन अधिकारी कुसुम राठौड़ द्वारा किया गया। उन्होंने स्वम आंखों की जांच करवाई और अपने चश्मे के नंबर परिवर्तन की जानकारी प्राप्त की। मौके पर अतिरिक्त आरटीओ दिनेश सिंह सागर व सीनियर इंस्पेक्टर रजनीश विद्यार्थी ने भी नेत्र परीक्षण करवॉया।
इस अवसर पर कुसुम राठौड़ ने कहा कि वाहन चालक यात्रा की महत्वपूर्ण कड़ी होता है उनका पूर्ण रूपेण स्वस्थ होना बहुत ज़रूरी है। बस ड्राइवर व ट्रक ड्राइवर लगातार गाड़ी चलाते है, तो समय के साथ उनकी दृष्टि के कमजोर होने की पूरी संभावना होती है, ऐसे में नियमित रूप से नेत्रों की जाँच दुर्घटनाओं में काफी हद तक कमी लाते सकते है। आमतौर पर प्रतिवर्ष एक बार आँखों की जांच अवश्य करवाकर निश्चिंत हो जाना चाहिये।
अतिरिक्त आरटीओ दिनेश सिंह सागर ने कहा कि यात्रियों को सुरक्षित गन्तव्य स्थान तक पहुंचने में वाहन चालक की जीवनदायिनी भूमिका है, चाहे वो परिवार का मामला हो या व्यवसायिक कार्य से जुड़ा, आँखों की नियमित देखभाल व ज़रूरत पर चश्मे का इस्तेमाल दोनो दुर्घटनाओं में कमी लाते है। कैम्प में के के सक्सेना, कोटा सड़क सुरक्षा समिति से जगदीश गांधी , लायंस क्लब के जोन सचिव राजेन्द्र गुप्ता व वैभव गुप्ता का सहयोग रहा।
जांच में 11 को मोतियाबिंद पाया
वरिष्ठ नेत्ररोग चिकित्सक डॉ सुरेश कुमार पांडे ने बताया कि शिविर में चालक, परिचालक, बस , ट्रक , भारी वाहन के मालिक व परिवहन विभाग के कर्मचारियों की नेत्र परीक्षण किया गया। ग्यारह लोगो मे मोतियाबिंद पाया गया जबकि 49 लोगों की निकट दृष्टि दोष पाया गया। सभी को नंबर दिए गये व चश्में का उपयोग शुरू करने हेतु सलाह दी गयी।