मुंबई।ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) के पूर्व CEO पार्थो दासगुप्ता के साथ रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी की करीब एक हजार पेज की वॉट्सऐप चैट्स मुंबई क्राइम ब्रांच ने अपनी चार्जशीट में शामिल की हैं। इन चैट्स में कुछ बातचीत दो साल पहले भारत की बालाकोट में की गई सैन्य कार्रवाई से भी जुड़ी हुई हैं, जिसकी जानकारी अर्नब को पहले से थी।
दूसरी ओर कानूनविदों का मानना है कि मुंबई पुलिस को अर्णब गोस्वामी के खिलाफ टीआरपी स्केम में कुछ हाथ नहीं लगा तो मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार अर्णब की पर्सनल चैट को लेकर फंसाने की साजिश रच रही है। पुलिस को किसी भी व्यक्ति की प्राइवेट चैट को सार्वजनिक करने का अधिकार नहीं है। पुलिस खुद उद्धव ठाकरे सरकार के इशारे पर गैर क़ानूनी काम कर रही है।
इस तरह पुलिस किसी की प्राइवेसी भंग नहीं कर सकती है। वह सामान्य चैट है। पुलवामा अटैक के बाद हर व्यक्ति को इसकी जानकारी थी कि सरकार कुछ बड़ा करने वाली है। अर्णब ने चैट में वही लिखा है। इस चैट से अर्नब पर लगे आरोप स्वत: ही ख़ारिज हो जाते हैं।
वॉट्सऐप चैट्स सोशल मीडिया पर लीक होने के बाद मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार से सवाल पूछा जा रहा है कि ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट में अर्नब और दासगुप्ता के खिलाफ क्या कोई एफआईआर दर्ज होगी? इस केस की जांच से जुड़े एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने मंगलवार को मुंबई पुलिस की कानूनी मजबूरियों के बारे में समझाया।
‘केंद्र सरकार बने शिकायतकर्ता’
इस अधिकारी के अनुसार, यह दो लोगों के बीच प्राइवेट चैट्स है। फिर इस चैट्स में बालाकोट पर भारत सरकार की संभावित कार्रवाई का जो जिक्र है, वह देश की सुरक्षा से जुड़ा मामला है। कायदे से इस मामले में केंद्र सरकार को शिकायतकर्ता बनना चाहिए और मुंबई पुलिस में एफआईआर दर्ज करनी चाहिए। लेकिन क्या केंद्र सरकार ऐसा करेगी, इस अधिकारी के अनुसार, यह केंद्रीय गृह मंत्रालय को तय करना है।
गृहमंत्री अनिल देशमुख भी बोले थे
इस अधिकारी का कहना है कि मुंबई पुलिस या राज्य सरकार इस बारे में केंद्र सरकार को आदेश नहीं दे सकती। सिर्फ अपनी बात पहुंचा सकती है। मंगलवार को महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने मीडिया के जरिए अपनी बात केंद्र तक पहुंचाई भी है।