नई दिल्ली। रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अरनब गोस्वामी और टीवी रेटिंग एजेंसी BARC के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता के बीच कथित व्हाट्सऐप चैट के स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर तैर रहे हैं। ट्विटर पर शनिवार शाम से ही Balakot ट्रेंड करने लगा। दावा किया जा रहा है कि बालाकोट स्ट्राइक से तीन दिन पहले ही अरनब गोस्वामी ने व्हाट्सऐप चैट पर कहा था कि कुछ बड़ा होने वाला है।
इसको लेकर कई स्क्रीनशॉट भी शेयर किए जा रहे हैं। कुछ ही देर में लोग दो पक्षों में बंट गए और बहस छिड़ गई। लोगों ने देश की सुरक्षा का जिक्र करते हुए गोपनीय सैन्य कार्रवाई की जानकारी कथित तौर पर लीक होने पर हैरानी जताई।
जानेमाने वकील प्रशांत भूषण ने भी सवाल उठाए। उधर, छत्तीसगढ़ के कैबिनेट मंत्री टीएस सिंह देव ने कहा कि अगर बालाकोट हमले पर हमारी सैन्य खुफिया और रणनीतिक जानकारी को केंद्र सरकार में किसी की ओर से अपने फायदे के लिए प्राइवेट प्लेयर को लीक किया गया है तो यह बड़ी सुरक्षा चूक है। उन्होंने मांग की है कि इस मामले की जांच होनी चाहिए और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए। गोपनीय सैन्य सूचनाओं को लीक करना देशद्रोह है।
पूर्व राजनयिक केसी सिंह ने लिखा कि ऐसा लगता है कि सरकार ने दोतरफा हमले की योजना बनाई थी। एयरफोर्स ने बालाकोट में बम बरसाए और अरनब भारतीय विपक्ष को निशाना बनाएं।
पाकिस्तान में भी चर्चा
भारत ही नहीं, यह चर्चा पाकिस्तान तक जा पहुंची है। पाकिस्तान सरकार में केंद्रीय मंत्री चौधरी फवाद हुसैन ने अरनब गोस्वामी के कथित व्हाट्सऐप चैट का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इससे नेक्सस का पता चलता है। पाकिस्तान में इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया।
वहीं, कुछ लोग इसे प्रोपेगैंडा भी बता रहे हैं। सैन्य मामलों के जानकार रोहित देव ने लिखा कि इस प्रोपेगैंडा में मत पड़िए। बालाकोट के बारे में किसी को पता नहीं था, यह सब अटकलबाजी हैं। बाहर के कुछ लोगों को जानकारी हो सकती है पर वे कभी भी सार्वजनिक रूप से नहीं बोलते हैं।
‘सामान्य हमले से बड़ा’…. दावा किया जा रहा है कि 23 फरवरी 2019 को व्हाट्सऐप चैट में अरनब ने Broadcast Audience Research Council के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता से यह बात कही थी। तीन दिन बाद 26 फरवरी 2019 को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी कैंपों को तबाह कर दिया। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी 2019 को हुए आतंकी हमले पर यह भारत का करारा जवाब था, जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे।