सरसों 15 दिन में 1000 रुपए बढ़कर 6,201 रुपए प्रति क्विंटल हुई

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नई दिल्ली। कोरोना महामारी के बीच सरसों की डिमांड बढ़ी है। क्योंकि लॉकडाउन के दौरान लोग घरों में ही रहे। इस दौरान खाद्य तेलों खासकर सरसों तेल की भारी खपत हुई। इससे भाव में भी रिकॉर्ड तेजी दर्ज की जा रही है। 15 दिन में सरसों का भाव एक हजार रुपए बढ़कर 6,200 रुपए पार पहुंच गया है। आगे भी इसमें बढ़त का ही अनुमान है, क्योंकि नए फसल में अभी दो महीने का समय है।

कोरोना में खप गया सरसों
राजस्थान में भरतपुर के स्थानीय आढ़तिए भूपेंद्र गोयल ने बताया कि कोरोना काल में सरसों तेल की जबरदस्त डिमांड रही। इससे अधिकांश माल पहले ही खप चुका है। इसमें मुश्किल ये है कि नए माल तैयार होने में अभी दो महीने का समय शेष है। ऐसे मांग के लिहाज सप्लाई नहीं हो पा रही। इसीलिए शुक्रवार को इसकी कीमत रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई और आगे भी इसमें इजाफा होने की संभावना है।

ऊंची कीमतों से ग्राहक बना रहे दूरी
ग्राहक सरसों के बढ़ते भाव के चलते इसके विकल्प की ओर बढ़ रहे हैं। तेल उत्पादक दीनदयाल गोयल का कहना है कि सरसों तेल की लागत अधिक है, इससे भाव भी बढ़ रहे हैं। यह बढ़कर थोक में 132 रुपए किला हो गया है। इसलिए रुटीन ग्राहक अन्य तेलों का इस्तेमाल बढ़ा रहे हैं। लेकिन केनोला, राइस ऑयल, पाम ऑयल आदि की आवक कम होने से सरसों तेल की डिमांड बनी हुई है।

सरसों के भाव बढ़ोतरी के कारण

  1. आठ लाख टन की जरूरत – तेल मिलों को अगले दो माह नई फसल आने तक करीब 8 लाख टन सरसों की जरूरत होगी, जबकि स्टाक करीब 3 लाख टन का है। आढ़तिया भूपेंद्र गोयल ने बताया कि राजस्थान नेफेड का माल खप चुका है। अब केवल हरियाणा नेफेड के पास करीब एक लाख टन है। इसके अलावा लगभग डेढ़ टन माल किसान और आढ़तियों के पास, 50 हजार टन मिलर्स और खैरिज स्टॉकिस्ट पर होने का अनुमान है।
  2. ब्लैंडेड तेल पर रोक – सरकार ने सरसों तेल में अन्य तेल मिलाकर बेचने पर रोक लगा दी है। हालांकि अब यह मामला कोर्ट में चला गया है, लेकिन ब्लैंडेड तेल की डिमांड कम हो गई है। इसी कारण सरसों की डिमांड बढ़ी है।
  3. आयातित तेल की कमी – कोरोना के कारण दुनियाभर का सप्लाई चेन प्रभावित हुआ है। इसके चलते देश में पाम, केनोला सहित आयातित तेल बहुत कम आ रहे हैं। दूसरे लोग भी कोरोना के डर से खरीदने में परहेज कर रहे हैं। इसलिए सरसों तेल की डिमांड लगातार बनी हुई है।