नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध में जारी आंदोलन के बीच सोमवार को सरकार और किसान संगठन सातवीं बार वार्ता की मेज पर होंगे। आज की वार्ता में दोनों पक्ष अपनी हठ छोड़ें तो हल निकल सकता है। इस बैठक में तीनों कृषि कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) आधारित खरीद की कानूनी गारंटी संबंधी किसान संगठनों की मांग पर चर्चा होगी।
इस बैठक से 48 घंटे पूर्व ही किसान संगठनों ने अपनी मांग पर डटे रहने का साफ संदेश दिया है, जबकि सरकार ने सातवें दौर की वार्ता के संबंध में अपने पत्ते नहीं खोले हैं। सूत्रों के मुताबिक सरकार तीनों कानूनों की वापसी की मांग को स्वीकार नहीं करेगी। जबकि एमएसपी पर कानूनी गारंटी देने संबंधी मांग पर विचार के लिए फिर से एक समिति के गठन का प्रस्ताव रखेगी।
उक्त सूत्र के मुताबिक किसानों की मांग के कई पक्ष होने के कारण इसे सीधे स्वीकार नहीं किया जा सकता। इसके लिए व्यापक विचार विमर्श की जरूरत पड़ेगी। हालांकि किसान संगठन इस आशय के प्रस्ताव को छठे दौर की बैठक में ही ठुकरा चुके हैं।
सुप्रीम कोर्ट पर भी सरकार की नजर
इस मामले को सुलझाने के लिए सरकार की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर भी है। सुप्रीम कोर्ट अगले हफ्ते संभवतऱ् पांच जनवरी को इस मामले की फिर से सुनवाई करेगी। इससे पहले हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने वार्ता पर जोर दिया था।
इसके अलावा बातचीत जारी रखने तक कानून पर अस्थाई रोक का भी सुझाव दिया था। सरकार को लगता है कि इस सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत के जरिए इस विवाद में बीच का रास्ता निकल सकता है।
मुख्य पेंच कानून वापसी और एमएसपी पर कानूनी गारंटी पर फंसा है। किसानों ने पीछे न हटने की घोषणा कर विवाद सुलझाने की गेंद सरकार के पाले में डाल दी है। सरकार ने अब तक इस मामले में पीछे हटने का संदेश नहीं दिया है। जबकि समाधान किसी एक पक्ष के झुकने से निकलेगा।
एक और दौर की बातचीत पर बन सकती है सहमति
हालांकि यह करीब-करीब तय है कि सोमवार की बैठक में विवाद का अंतिम हल नहीं निकलेगा। हालांकि सरकार नहीं चाहती कि वार्ता में डेडलॉक पैदा हो। ऐसे में दोनों पक्षों के बीच वार्ता के एक और दौर पर सहमति बन सकती है।