नई दिल्ली। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास में अगस्त में एमपीसी की बैठक में यह घोषणा की थी। उपभोक्ताओं की सेफ्टी को ध्यान में रखते हुए पॉजिटिव पे का नया नियम लागू करने का फैसला किया गया है। इसका मकसद चेक का दुरुपयोग रोकना मकसद है। साथ ही इससे फर्जी चेक के माध्यम से होने वाले फ्रॉड पर भी लगाम लगेगी।
पॉजिटिव पे सिस्टम क्या है
‘पॉजिटिव पे’ सिस्टम के तहत किसी थर्ड पार्टी को चेक जारी (इश्यू) करने वाला व्यक्ति अपने बैंक को अपने चेक का डिटेल भी भेजेगा। 50,000 रुपये से ज्यादा रकम के चेक पॉजिटिव पे सिस्टम के तहत आएंगे। इस सिस्टम से एक तरह जहां चेक का इस्तेमाल ज्यादा सुरक्षित बनेगा वही चेक के क्लियरेंस में भी कम वक्त लगेगा। चेक जारी करने वाले व्यक्ति को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से चेक की तारीख, लाभार्थी का नाम, प्राप्तकर्ता (Payee) और पेमेंट की रकम के बारे में दोबारा जानकारी देनी होगी।
कैसे काम करेगा सिस्टम
चेक जारी करने वाला व्यक्ति यह जानकारी SMS, मोबाइल ऐप, इंटरनेट बैंकिंग या ATM जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से दे सकता है। इसके बाद चेक पेमेंट से पहले इन जानकारियों को क्रॉस-चेक किया जाएगा। अगर इसमें कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो CTS – Cheque Truncation System इस बारे में संबंधित दोनों बैंकों को जानकारी दी जाएगी। यानी जिस बैंक का चेक काटा गया है और जिस बैंक में प्रजेंट किया गया है।
कैसे प्रोसेस होगा चेक
पॉजिटिव पे प्रक्रिया के तहत चेक इश्यू करने के बाद अकाउंट होल्डर को चेक की डिटेल बैंक के साथ साझा करनी होगी। इनमें चेक नंबर, चेक डेट, पाने वाले का नाम, अकाउंट नंबर, अमाउंट आदि के साथ-साथ चेक के फ्रंट और रिवर्स साइड की इमेज भी शामिल है।
केंद्रीय बैंक के मुताबिक इस प्रक्रिया के तहत चेक जारी करने वाले व्यक्ति की तरफ से चेक के बारे में दी गई जानकारी के आधार पर ही उसे प्रोसेस किया जाएगा। वॉल्यूम के लिहाज से देश में चेक के जरिए होने वाला करीब 20 फीसदी ट्रांजेक्शन इस सिस्टम के दायरे में आएगा, जबकि वैल्यू के लिहाज से 80 फीसदी ट्रांजेक्शन इस सिस्टम के दायरे में आएगा।
सीटीएस क्या है
अभी चेक ट्रंकेशन सिस्टम (सीटीएस) का इस्तेमाल चेक क्लीयरिंग के लिए होता है। सीटीसी में क्लीयरिंग हाउस की ओर से इसकी इलेक्ट्रॉनिक फोटो अदाकर्ता शाखा को भेज दी जाती है। इसके साथ इससे संबंधित जानकारी जैसे एमआईसीआर बैंड के डेटा, प्रस्तुति की तारीख, प्रस्तुत करने वाले बैंक का ब्योरा भी भेज दिया जाता है। ऐसे में सीटीसी के माध्यम से कुछ अपवादों को छोड़कर फिजिकल इंस्ट्रूमेंटों की एक शाखा से दूसरी शाखा में जाने की जरूरत खत्म हो जाती है। यह चेक के एक स्थान से दूसरे स्थान जाने में लगने वाली लागत को खत्म करता है। उनके कलेक्शन में लगने वाले समय को भी यह कम करता है।