सरकार ने किसानों को दिया प्रस्ताव, MSP पर लिखित गारंटी का वादा

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नई दिल्ली। कृषि सुधार कानूनों के विरोध में दिल्ली सीमा पर डटे किसानों को सरकार की तरफ से प्रपोजल भेज दिया गया है। किसानों की सबसे बड़ी मांग एमएसपी पर सरकार ने लिखित गारंटी देने का वादा किया है। किसान नेता अब बैठक कर सरकार के इस मसौदे पर विचार करेंगे और अपनी रणनीति तय करेंगे। कई दौर की बातचीत बेनतीजा रहने के बाद किसानों को यह प्रस्ताव भेजा गया है। तीनों कानून वापस लेने की मांग पर अड़े किसान क्या सरकार के इस प्रस्ताव को मानेंगे, यह अब सबसे बड़ा सवाल है। सरकार के प्रस्ताव पर किसानों की ‘हां’ या ‘ना’, इसकी घोषणा के लिए आज शाम 5 बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई गई है।

किसानों को भेजे गए प्रस्ताव के मुख्य बिंदु
1-एमएसपी खत्म नहीं होगा, सरकार एमएसपी को जारी रखेगी। सरकार इस पर लिखित आश्वासन देगी
2-मंडी कानून APMC में बड़ा बदलाव होगा
3-प्राइवेट प्लेयर्स को रजिस्ट्रेशन जरूरी
4-कॉन्ट्रेक्ट फॉर्मिंग में किसान को कोर्ट जाने का हक़
5-अलग फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन को मिलेगी मंजूरी
6-प्राइवेट प्लेयर्स पर टैक्स लगाया जाएगा

मसौदे में किसानों की शंकाओं का समाधान
20 पेज के इस प्रस्ताव में किसानों की शंकाओं का समाधान करने की कोशिश की गई है। एमएसपी पर सबसे ज्यादा विवाद हो रहा था। इसपर केंद्र ने कहा कि MSP व्यवस्था खत्म नहीं हो रही है और सरकार इसपर लिखित आश्वासन देगी। यही नहीं, किसान मौजूदा बिजली दर पर ही भुगतान जारी रख पाएंगे और इसमें कोई बदलाव नहीं होगा।

मंडी व्यवस्था पर भी केंद्र सरकार ने किसानों को प्रस्ताव भेजा है। कृषि भूमि की कुर्की के संबंध में कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं दिया गया और इसपर विचार करने की बात कही गई है। किसानों की भूमि पर बड़े उद्योगपतियों के कब्जे की आशंका पर सरकार ने कहा कि इसपर प्रावधान पहले से ही स्पष्ट हैं। प्रस्ताव में कहा गया है कि किसान की भूमि पर बनाई जाने वाली संरचना पर खरीदार द्वारा किसी प्रकार का कर्ज नहीं लिया जा सकेगा और न ही ऐसी संरचना वह बंधक रख पाएगा।

तीनों कानूनों को वापस लेने पर अड़े किसान
सरकार ने किसानों की मांगों पर विचार करते हुए अपना रुख तो जाहिर कर दिया है, लेकिन किसान क्या इसे मानेंगे इसको लेकर सस्पेंस है। किसान नेता कानून वापस लेने से कम पर राजी नहीं हैं। किसान संघर्ष समिति के कंवलप्रीत सिंह पन्नू ने सरकार के इस प्रस्ताव से पहले ही कह दिया था कि तीनों कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए। हमारी यह एक मांग है। अगर सरकार संशोधन की बात करेगी, तो हम उसे खारिज कर देंगे।