नई दिल्ली। देश में अगले 3 साल में 1,000 LNG स्टेशंस लगेंगे और इन पर 10,000 करोड़ रुपए का निवेश होगा। यह बात पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गुरुवार को कही। परिचालन लागत और कार्बन उत्सर्जन घटाकर LNG लंबी दूरी वाले परिवहन क्षेत्र में क्रांति ला सकती है।
लिक्विफाइड नेचुरल गैस (LNG) को लंबी दूरी की परिवहन सेवा देने वाली बस और ट्रक इसलिए पसंद करती हैं, क्योंकि इसमें CNG के मुकाबले एनर्जी डेंसिटी ज्यादा होती है। एक बार LNG भर लेने के बाद ये वाहन 600-800 किलोमीटर चल सकते हैं। इसके अलावा LNG डीजल के मुकाबले 30-40 फीसदी सस्ता होता है।
अभी तक भारत में वाहन चलाने के लिए ईंधन के रूप में पेट्र्रोल, डीजल, CNG और ऑटो-LPG का उपयोग होता है। LNG एक नई ईंधन होगी, जिसे पेट्र्रोल पंप जैसे आउटलेट से वाहनों में भरा जा सकता है। सिर्फ लांग-हॉल बस और ट्रक में ही नहीं, बल्कि LNG का उपयोग बंकर फ्यूल के तौर पर माइनिंग इक्विपमेंट और रेल लोकोमोटिव में भी हो सकता है।
पहले 50 LNG डिस्पेंसिंग स्टेशंस का निर्माण हुआ शुरू
प्रधान ने गुरुवार को पहले 50 LNG डिस्पेंसिंग स्टेशंस के निर्माण की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि LNG परिचालन की लागत और कार्बन उत्सर्जन घटाएगी। अगले 3 साल में निजी और सरकारी क्षेत्र में 1,000 LNG स्टेशंस लगाने के लिए 10,000 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।
कार्बन उत्सर्जन लगभग जीरो
प्रधान ने कहा कि देश में करीब 1 करोड़ ट्रक हैं। यदि हम सिर्फ 10 फीसदी (10 लाख) को भी LNG में तब्दील करा लें, तो भारी बचत होगी। LNG से करीब जीरो कार्बन उत्सर्जन होता है। NOx का उत्सर्जन 85 फीसदी कम होता है।
हर 200-300 km पर एक LNG स्टेशन होगा
पहले 50 LNG स्टेशंस गोल्डन क्वार्डिलैटरल राजमार्गों पर लगाए जा रहे हैं। गोल्डन क्वार्डिलैटरल राजमार्ग चार महानगरों दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता को जोड़ते हैं। आने वाले समय में गोल्डन क्वार्डिलैटरल और प्रमुख राजमार्गों पर हर 200-300 km पर एक LNG स्टेशन होगा।
सरकार अपने एनर्जी बास्केट में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को वर्तमान 6.2 फीसदी से बढ़ाकर 2030 तक 15 फीसदी करना चाहती है। इसी योजना के तहत LNG को भी ईंधन के तौर पर बढ़ावा दिया जा रहा है। सिटी गैस नेटवर्क का विस्तार, ट्र्रंक पाइपलाइन बिछाना, LNG (आयात) टर्मिनल बनाना, गैस का घरेलू उत्पादन बढ़ाना, कर ढांचा सरल करना और यूनीफॉर्म और सरल किराया तय करना भी इसी योजना का हिस्सा है।
पहले 50 LNG स्टेशन 1 साल में लग जाएंगे
प्रधान ने कहा कि पहले 50 LNG स्टेशन 1 साल में लग जाएंगे। LNG का उपयोग बढ़ने से क्रूड आयात भी घटेगा, जिससे सरकार को विदेशी मुद्रा की बड़ी बचत होगी। भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी क्रूड ऑयल और 50 फीसदी गैस आयात से पूरा करता है। LNG चूंकि डीजल के मुकाबले 30-40 फीसदी सस्ता होता है, इसलिए परिवहन और अन्य सेक्टर्स में इसके उपयोग से लॉजिस्टिक्स की लागत घटेगी और इससे महंगाई को भी कम रखने में मदद मिलेगी।
50 में से 20 LNG स्टेशंस IOC लगाएगी
पहले 50 में से सर्वाधिक 20 LNG स्टेशंस IOC लगाएगी। हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL) 11 और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड भी 11 स्टेशंस लगाएंगी। गैस बेचने वाली कंपनी गेल 6 आउटलेट लगाएगी और पेट्रोनेट LNG Ltd बाकी बचे हुए 2 आउटलेट लगाएगी।
गुजरात में सबसे ज्यादा 10 स्टेशंस लगेंगे
पहले 50 आउटलेट्स में सबसे ज्यादा 10 आउटलेट्स गुजरात में लगेंगे, देश की कुल LNG आयात क्षमता में करीब दो-तिहाई योगदान करता है। महाराष्ट्र्र और तमिलनाडु दोनों राज्यों में 8-8 LNG स्टेशंस लगेंगे। इन दोनों राज्यों में भी LNG टर्मिनल्स हैं। आंध्र प्रदेश में 6, कर्नाटक में 5, केरल में 3, ओडिशा में 1, तेलंगाना में 2, हरियाणा में 1, राजस्थान में 3, उत्तर प्रदेश में 2 और मध्य प्रदेश में 1 LNG आउटलेट लगेंगे।
देश में LNG ईंधन का पहली बार ट्रायल 2015 में हुआ था
देश में ईंधन के रूप में LNG का पहली बार ट्रायल IOC और टाटा मोटर्स ने 2015 में किया था। इसके बाद 2016 में पहली बार LNG से चलने वाली बस लांच की गई थी। अब LNG का उपयोग का वाणिज्यिक तौर किया जा रहा है।