कोटा। बदलती जीवन शैली के कारण भारत मधुमेह रोगियों की राजधानी (डायबिटिक केपीटल आफ द वर्ल्ड) बनता जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि भारत में मधुमेह रोगियों की वर्तमान संख्या 3.2 करोड़ है, जो वर्ष 2030 तक बढ़कर आठ करोड़ हो सकती है। दुनिया भर में 23 करोड़ लोग इस जानलेवा बीमारी के शिकार हैं और यह संख्या अगले 20 साल में बढ़कर 35 करोड़ हो सकती है।
सुवि नेत्र चिकित्सालय कोटा के नेत्र सर्जन डाॅ. विदुषी पाण्डेय ने बताया कि विश्व मधुमेह दिवस की 2020 वर्ष थीम ‘ दी नर्स एण्ड डायबिटिज ’ है। मधुमेह रोग से आँखों में रेटिना (पर्दे) में डायबटिक रैटिनोपैथी, मेकूलर डीजनरेशन, रेटिनल डिटैचमेन्ट, वीनस ऑक्लूशन, फ्लोटर्स, सेन्ट्रल सीरस रेटिनापैथी आदि रोग हो सकते है। डाॅ. सुरेश पाण्डेय ने बताया कि डायबिटिक रोगियों में अंधता का खतरा 25 गुना अधिक होता है।
सुवि नेत्र संस्थान के रेटिना विशेषज्ञ डाॅ. निपुण बागरेचा के अनुसार डायबिटिज से पीड़ित रोगी वर्ष में 2 बार दवा डालकर आंखों की पुतली फैलाकर रेटिना की नियमित जांच करवायें। मधुमेह रोगियों को पर्दे की जांच (फन्डोस्कोपी), एंजियोग्राफी, लेज़र व शल्य क्रिया द्वारा डायबिटिक रेटिनोपैथी से होने वाले दुष्प्रभाव की रोकथाम की जा सकती है। आंख के पर्दे की सूजन का पता लगाने के लिए आप्टिकल कोहरेन्स टोमोग्राफी (ओसीटी) नामक जांच की जाती है।
पर्दे की सूक्ष्म ब्लड वेसेल्स में लीकेज का पता लगाने के लिए आंखों की फण्डस फ्लोरोसिन एंजियोग्राफी (एफ.एफ.ए.) नामक जांच की जाती है जिसमें एक विशेष प्रकार के एंजियोग्राम में डाई का उपयोग किया जा सकता है। डायबिटिक रैटिनापैथी की प्रारम्भिक अवस्था का उपचार आमतौर पर फोटोकोगुलेशन नामक लेजर पद्धति से किया जाता है। लेजर ब्लड वेसेल्स को सील करके लीकेज अथवा इसके बढ़ने की रोकथाम करता है।
पर्दे की सूजन को कम करने के लिए एन्टी-वेजएफ इंजेक्शन का प्रयोग किया जाता है। डायबिटिक रैटिनोपैथी को नियंत्रित करने के लिए पर्दे की एन्जियोग्राफी, रेटिनल लेज़र, एन्टी-वेजएफ इंजेक्शन एवं आपरेशन की आवश्यकता पड़ सकती है। डायबिटिज से पीड़ित व्यक्ति को ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर तथा काॅलेस्ट्राॅल को नियंत्रित रख संबंधी नेत्र संबंधी समस्याओं की रोकथाम कर सकते है।
वर्ष में 2 बार पर्दे की जांच करायें
व्यापक अध्ययन से पता चला है कि मधुमेह अर्थात् डायबिटिज से पीड़ित व्यक्ति जो अपने रोग नियंत्रित रखने का प्रयास करते है उनमें डायबिटिक रैटिनापैथी की दर एक चैथाई रहती है। डायबिटिक रोगी अपनी दवाओं अथवा इंसुलिन का उपयोग फिजिशियन के परामर्श अनुसार करें, हेल्दी लाइफ स्टाईल अपनायें एवं आंखों / रेटिना की बीमारियां से बचने हेतु वर्ष में 2 बार पर्दे की जांच करायें।