मुंबई। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा विशेषाधिकार हनन मामले में पत्रकार अर्नब गोस्वामी को गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया। इसके साथ ही महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अदालत जाने को लेकर अर्नब गोस्वामी को लिखे गए पत्र पर महाराष्ट्र विधानसभा के सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी किया।
दरअसल, महाराष्ट्र विधानसभा की ओर से अर्नब गोस्वामी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस जारी हुआ था। जिसके खिलाफ अर्नब ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसके बाद उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा के सचिव ने लेटर भेजा।
इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अधिकारी ने स्पीकर और विशेषाधिकार समिति द्वारा भेजे गए नोटिस की प्रकृति गोपनीय होने कारण अदालत में देने पर पत्र कैसा लिखा। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायादीश ने कहा कि कोई इस तरह से कैसे डरा सकता है? इस तरह से धमकियां देकर किसी को अदालत में आने से कैसे रोका जा सकता है? हम इस तरह के आचरण की सराहना नहीं करते हैं।”
कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाते हुए विधानसभा सचिव को दो सप्ताह में कारण बताने के लिए कहा है। कोर्ट ने कहा आरोप कुछ भी लगाए जा सकते हैं, हमें तथ्य चाहिए । साथ ही कोर्ट ने यह भी आदेश किया कि अर्नब को उनके खिलाफ विधानसभा द्वारा जारी विशेषाधिकार नोटिस के अनुपालन में गिरफ्तारी नहीं किया जाना चाहिए।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने कहा, ‘‘यह गंभीर मामला है और अवमानना जैसा है। ये बयान अभूतपूर्व हैं और इसकी शैली न्याय प्रशासन का अनादर करने वाली है और वैसे भी यह न्याय प्रशासन में सीधे हस्तक्षेप करने के समान है। इस पत्र के लेखक की मंशा याचिककर्ता को उकसाने वाली लगती है क्योंकि वह इस न्यायालय में आया है और इसके लिये उसे दंडित करने की धमकी देने की है।’’
शीर्ष अदालत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में कार्यक्रमों को लेकर महाराष्ट्र विधानसभा द्वारा अर्णब गोस्वामी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन की कार्यवाही शुरू करने के लिये जारी कारण बताओ नोटिस के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
वहीं, अर्नब की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने पीठ को बताया कि सचिव ने यह पत्र अर्नब से स्पीकर और विशेषाधिकार सिमिता के संचार को अदालत के समक्ष रखने पर पूछताछ की, क्योंकि वे स्वभाव से गोपनीय हैं।