
कोटा। सुवि नेत्र चिकित्सालय एवं लेसिक लेजर सेन्टर, कोटा में विश्व दृष्टि दिवस के तत्वावधान में जागरूकता पोस्टर का विमोचन डॉ. सुरेश पाण्डेय, डॉ. विदुषी पाण्डेय एवं डॉ. निपुण बागरेचा द्वारा किया गया। कोटा डिवीजन नेत्र सोसायटी के भूतपूर्व अध्यक्ष डॉ. सुरेश पाण्डेय ने बताया कि विश्व दृष्टि दिवस (वर्ल्ड साईट डे) समूचे विश्वभर में अक्टूबर माह के दूसरे गुरूवार को मनाया जाता है। इस वर्ष 8 अक्टूबर को मनाये जाने वाले विश्व दृष्टि दिवस की थीम ‘ होप इन साइट ’ है। विश्व दृष्टि दिवस का मुख्य उद्देश्य सन् 2020 तक विश्वभर से उपचार योग्य अंधता को समाप्त करना है। विश्व दृष्टि दिवस-2020 का उद्देश्य है आँखों की बीमारियों और समस्याओं को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाना। अंधेपन को रोकने का और इस विषय में जागरूकता फैलाने का एक प्रयास है।
लेसिक सर्जन डॉ. विदुषी पाण्डेय ने बताया कि भारत में अंधता/दृष्टि विहीनता के 5 प्रमुख कारण – मोतियाबिन्द (कैटरेक्ट),कालापानी (ग्लूकोमा), रेटिना (पर्दे की बीमारियाँ) , दृष्टि दोष , कॉर्निया (पारदर्शी पुतली) की बीमारियाँ है। उन्होंने बताया कि विश्वभर में 4 करोड़ व्यक्ति दृष्टि विहिन/दृष्टि बाधित है, जिसमें तीन चौथाई (3 करोड़) दृष्टि विहिन/दृष्टि बाधित व्यक्ति एशिया एवं अफ्रीका महाद्वीप में निवास करते है। रेटिना विशेषज्ञ डॉ0 निपुण बागरेचा ने बताया कि दृष्टि विहीनता, दृष्टि बाधित होने के मुख्य कारण मोतियाबिन्द, कालापानी, दृष्टि दोष, आंख के पर्दे की बीमारियां (डायबिटिक रैटिनोपैथी एवं मैकुलर डिजनरेशन), कॉर्निया की बीमारियां आदि है। भारत में प्रतिवर्ष लगभग 38 लाख व्यक्ति मोतियाबिन्द होने के कारण दृष्टि बाधित हो जाते है, जिनकी दृष्टि सफल ऑपरेशन एवं लैन्स प्रत्यारोपण के बाद लौटाई जा सकती है।
हमारे देश में कुल अंधता का लगभग 1 प्रतिशत कॉर्नियल ब्लाइंडनेस के कारण है। लगभग 1,20,000 लोगों के दोनों आँखों का कॉर्निया अंधता की स्थिति तक खराब है और लगभग 10,00,000 लोगों के दोनों आँखों का कॉर्निया प्रभावित है, जिसके कारण उन्हें कम दिखता है। लगभग 68,00,000 (68 लाख) लोगों का एक कॉर्निया प्रभावित है। हर साल लगभग 25-30 हजार लोग कॉर्निया खराब होने के कारण अंधता से ग्रसित हो रहे है। इन सब में से लगभग 50 प्रतिशत लोग कॉर्नियल ट्रांसप्लांट द्वारा रोशनी वापस प्राप्त कर सकते है। हर वर्ष कम से कम 1,50,000 कॉर्निया की आवश्यकता है, परन्तु प्रतिवर्ष 40-45 हजार के लगभग ही नेत्रदान हो पाते है।
इससे भी आवश्यक यह है कि कॉर्नियल अल्सर आदि बीमारियों का समय रहते उचित इलाज कराकर कॉर्नियल ब्लाइंडनेस से बचा जा सके। नेत्रदान के द्वारा आँख का कॉर्निया ट्रांसप्लांट किया जाता है। डायबिटिक एवं उच्च रक्तचाप के रोगियों में आँख के पर्दे की समस्याऐं हो जाती है। मधुमेह से पीड़ित रोगियों को स्वस्थ्य मनुष्य के मुकाबले मधुमेह से ग्रसित व्यक्ति के अंधा होने की संभावना 25 गुना ज्यादा है। मधुमेह से पीड़ित रोगी हर 6 महीने में 2 बार दवा डालकर आंख के पर्दे की जांच कराना आवश्यक है।
रेटिनोपैथी ऑफ प्रिमैच्यूरिटी नामक बीमारी समय से पूर्व जन्में नन्हें शिशुओं में आँख के पर्दे को प्रभावित करती है। आमतौर पर इससे दोनों आँखें प्रभावित होती है और यह बच्चों में दृष्टि की हानि का प्रमुख कारण है। विज़न 2020 मिशन में निर्धारित समय से पहले और अपरिपक्व शिशुओं में अंधापन का प्रमुख कारणों में से एक कुसमयता के रेटिनोपैथी है। रेटिनोपैथी ऑफ प्रिमैच्यूरिटी के विश्वस्तर पर बच्चों में अंधापन की संख्या 14 लाख है। विश्वस्तर पर रेटिनोपैथी को लक्ष्य बनाते हुए बचपन के अंधेपन व उसके उपचार के प्रयास किये जा रहे है।
डिजिटल विजन सिन्ड्रोम : डॉ. सुरेश पाण्डेय ने बताया कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान कम्प्यूटर स्मार्टफोन, एवं लेपटॉप का उपयोग करने के कारण स्क्रीन टाइम काफी अधिक बढ़ गया है। जिसके कारण आंखों में सूखापन चुभन होना लाली होना सिरदर्द होना आदि समस्याऐं तेजी से बढ़ रही है, जिसे डिजिटल विजन सिन्ड्रोम कहा जाता है। मास्क का उपयोग कोविड 19 महामारी के दौरान अति आवश्यक है। लम्बे समय तक डिजिटल डिवाईसेज का उपयोग करने एवं मास्क लगाने के कारण मास्क एसोसिएटेटेड ड्राई आई डिजीज भी बढ़ती जा रही है।
डिजिटल विजन सिन्ड्रोम से बचने के लिए कम्प्यूटर उपयोग करने वाले व्यक्ति कम्प्यूटर स्क्रीन को 20 इंच की दूरी पर रखें तथा प्रत्येक कम्प्यूटर पर कार्य करने के उपरान्त 20 मिनट बाद 20 फीट दूरी पर रखी वस्तुओं को 20 सैकण्ड तक देखें। इस व्यायाम से आंखों की माँसपेशियों शिथिल रखने में सहायता मिलती है एवं साथ ही साथ कम्प्यूटर के लम्बे उपयोग के कारण आंखों में तनाव, सिरदर्द आदि लक्षण नहीं होते है। आंखों को स्वस्थ रखने के लिए हरी सब्जी, फल का प्रचुर मात्रा में प्रयोग करें। दिनभर में 8-10 गिलास पानी पीयें।