पार्थ द्विवेदी ने ICU में रहकर की जेईई-एडवांस्ड की तैयारी, 35वीं रैंक हासिल की

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कोटा। यदि हम लक्ष्य के प्रति दृढ़ हैं और हौसला है तो सफलता निश्चित है। ऐसी ही विपरीत परिस्थितियों में खुद को साबित किया है एलन के छात्र पार्थ द्विवेदी ने। राजस्थान के भरतपुर निवासी पार्थ ने जेईई एडवांस्ड में 35 रैंक प्राप्त की है। जेईई-मेंस के परिणाम आने के बाद परीक्षा से 25 दिन पूर्व पार्थ को गंभीर बीमारी ने जकड़ लिया था, तब से लगातार इलाज चल रहा है और वर्तमान में भी दिल्ली के एक हॉस्पिटल में इलाज करवा रहा है।

बीमारी के चलते माता-पिता व चिकित्सकों के मना करने के बावजूद जोखिम लेते हुए असहनीय दर्द सहन करते हुए पार्थ ने जेईई एडवांस्ड की परीक्षा दी। पार्थ के पिता विनीत द्विवेदी रेलवे में अधिकारी हैं तथा दिल्ली पदस्थापित हैं। मां नीति द्विवेदी उत्तर प्रदेश पुलिस में एडिशनल एसपी हैं।

आईसीयू में भी किताबें दूर नहीं हुई
पार्थ पिछले दो साल से कोटा में रहकर एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट से जेईई-एडवांस्ड की तैयारी कर रहा था। जेईई मेन्स में 100 पर्सेन्टाइल एनटीए स्कोर कर राजस्थान टॉप किया था। जेईई-एडवांस्ड देने की तैयारी थी, परीक्षा से 25 दिन पूर्व बुखार आया। दवाईयां ली लेकिन, बुखार कम नहीं हुआ। कोरोना टेस्ट नेगेटिव था लेकिन, टायफाइड एंटीजन पॉजिटिव था। 8 सितंबर को असहनीय सिर दर्द के बाद माता-पिता के साथ उपचार के लिए दिल्ली आ गया। यहां जांच में सामने आया कि उसे मेनिंगो एनसेफेलिटिस बीमारी ने जकड़ लिया है। यह एक दुर्लभ वायरल इंफेक्शन है, जिसमें मस्तिष्क की नसों में सूजन आ जाती है। 12 सितंबर को उसे आईसीयू में एडमिट किया गया। पार्थ ने इस दौरान भी किताबों का साथ नहीं छोड़ा। आईसीयू में रहने के दौरान एलन का ऑनलाइन टेस्ट भी दिया।

दिनभर लेटे रहना पड़ता था
पार्थ ने बताया कि उपचार के दौरान उसे काफी तकलीफ सहनी पड़ी। टेस्ट के लिए डॉक्टर स्पाइन में से फ्ल्युइड लेते थे, इसलिए दर्द बहुत होता था और पूरे दिन लेटे रहना पड़ता था। बाद में आईसीयू से प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट किया। मेरी मेहनत इस बीमारी से नहीं हार सकती थी इसलिए मैंने परीक्षा देने का निर्णय लिया। मम्मी-पापा ने काफी मना किया लेकिन मेरा हौंसला देखकर उन्होने भी साथ दिया। हॉस्पिटल प्रबंधन ने भी सहयोग किया और परीक्षा में जाने की अनुमति दी। 27 सितंबर को जेईई एडवांस्ड देने गया। दोनों पारियों में छह घंटे तक बैठना संभव नहीं था लेकिन खुद से कमिटमेंट किया हुआ था कि आईआईटी क्रेक करनी है, इसलिए असहनीय दर्द के बीच थी पेपर सॉल्व करता चला गया। पेपर थोड़ा टफ था लेकिन एलन के प्रेक्टिस टेस्ट के मुकाबले आसान था। इसलिए ज्यादा परेशानी नहीं आई।

कमजोर टॉपिक्स को मजबूत बनाया
पार्थ ने बताया कि मैंने कमजोर टॉपिक्स को बार-बार रिवाइज कर उन्हें मजबूत बनाया। पहले ऑर्गेनिक कैमेस्ट्री से घबराता था लेकिन एलन के टीचर्स के सपोर्ट से सब्जेक्ट में अच्छा कमांड हो चुका है। एलन के स्टडी मैटेरियल से काफी सपोर्ट मिला। इससे पूर्व केवीपीवाय में ऑल इंडिया 6 रैंक, जेईई मेन 2020 में 100 पर्सेन्टाइल स्कोर कर राजस्थान टॉप कर चुका हूं। एनटीएसई स्कॉलर होने के साथ ही ओसीएससी के लिए भी चयनित हूं। इसके अलावा एनएसईपी, एनएसईए और आरएमओ क्वालिफाइड हूं। 10वीं कक्षा 97.4 एवं 12वीं कक्षा 97.8 प्रतिशत अंक प्राप्त किए।