वार्ता : आरवीयूएन संयुक्त संघर्ष समिति की कोर टीम मंगलवार को उर्जा राज्य मंत्री एवं सीएमडी से मिली। आंकडें देकर बताया कि सभी पावर प्लांट लाभ में चल रहे, फिर विनिवेश की जल्दबाजी क्यों!
कोटा। राज्य विद्युत उत्पादन निगम लि. (आरवीयूएनएल) के निजी क्षेत्र में विनिवेश का विरोध कर रही संयुक्त संघर्ष समिति के 11 सदस्यीय प्रतिनिधीमंडल ने मंगलवार को उर्जा राज्य मंत्री पुष्पेंद्र सिंह एवं सीएमडी एनके कोठारी से वार्ता की। समिति के संरक्षक जीएस भदौरिया ने बताया कि राज्य के सभी पावर प्लांटों पर अधिकारी, इंजीनियर्स एवं कर्मचारी उत्पादन निगम के बिजलीघरों को निजी हाथों में सौंपने के निर्णय का जनांदोलन कर कड़ा विरोध कर रहे हैं।
समिति ने सामूहिक निर्णय से 11 अप्रैल को जयपुर में विद्युत भवन पर राज्य स्तरीय धरने का निर्णय लिया था। इसकी सूचना 20 दिन पूर्व प्रशासन को देकर अनुमति ले ली गई थी। इसके बावजूद निगम प्रशासन ने दमनकारी रवैया अपनाते हुए सभी इंजीनियर्स, अधिकारियों व कर्मचारियों के मौलिक अधिकारों का हनन किया। प्रशासन ने एक दिन पूर्व आदेश जारी कर 11 अप्रैल को अवकाश की अनुमति नहीं दी। इससे सूरतगढ, झालावाड, छबडा, कोटा, धौलपुर, गिरल, बांसवाड़ा सहित सभी पॉवर प्लांटों में इंजीनियर्स एवं कर्मचारियों ने वर्क-टू-रूल पर अमल करते हुए आदेश की प्रतियां जलाकर विरोध दर्ज कराया।
समिति ने उर्जा राज्य मंत्री को बताया कि लाभ में चल रहे पॉवर प्लांटों का निजी हाथों में विनिवेश करने से जनता पर महंगी बिजली का भार पडे़गा। इसलिए जनहित में इस निर्णय पर पुनर्विचार किया जाए। अगले एक वर्ष में सभी बिजलीघर पहले से अधिक एवं सस्ती बिजली उत्पादन करने में सक्षम हैं। उर्जा राज्य मंत्री ने भरोसा दिलाया कि इस मुद्दे पर आम जनता के हित में सकारात्मक रूख अपनाएंगे। संयुक्त संघर्ष समिति ने वार्ता के बाद विद्युत भवन के घेराव को अगले 15 दिन के लिए स्थगित किया। इस दौरान सरकार से कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला तो 26 अप्रैल को विनिवेश के विरोध में विद्युत भवन पर विशाल धरना एवं प्रदर्शन किया जाएगा।