बड़ी कारों पर टोटल टैक्स 50% से ज्यादा नहीं

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नई दिल्ली। मिड-साइज और बड़ी कारों के अलावा एसयूवी पर टोटल टैक्स के 50 पर्सेंट से ज्यादा होने की आशंका नहीं दिख रही है। इसका अर्थ यह हुआ कि इन पर सेस 25 पर्सेंट से कम लगाया जाएगा।

ऐसा होने से कार कंपनियों की चिंता कुछ दूर हो सकती है, जिनमें से कुछ ने सेस बढ़ाने की शिकायत की थी और कहा था कि इससे उन्हें कीमतें बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ेगा, जो पहली जुलाई को जीएसटी लागू होने के बाद घटी हैं।

एक टॉप ऑफिशल ने बताया कि फाइनैंस मिनिस्ट्री अगले दो दिनों में एक कैबिनेट नोट सर्क्युलेट कर सकती है ताकि ऐसी गाड़ियों पर सेस को 15 पर्सेंट से बढ़ाकर 25 पर्सेंट करने के लिए जीएसटी कंपनसेशन एक्ट में संशोधन किया जा सके।

उन्होंने कहा कि असल बढ़ोतरी के बारे में फैसला जीएसटी काउंसिल करना है और इस बात की संभावना है कि सेस को कम रखा जाएगा ताकि टोटल टैक्स 50 पर्सेंट से नीचे रहे।

ऑटोमोबाइल कंपनियों ने प्रस्तावित बढ़ोतरी पर एतराज जताया है और हो सकता है कि कई कंपनियां जीएसटी लागू होने के बाद टोटल टैक्स में कमी को देखते हुए किए गए प्राइस कट को रोल बैक कर दें। जीएसटी लागू होने से पहले मिड-साइज सिडैन पर इफेक्टिव टैक्स करीब 47 पर्सेंट और एसयूवी पर 55 पर्सेंट से ज्यादा था।

अधिकारी ने कहा, ‘लिमिट इसलिए बढ़ाई जा रही है ताकि सरकारें जरूरत पड़ने पर टैक्स रेट में इजाफा कर सकें। बढ़ोतरी एकबार में नहीं होगी।’ उन्होंने कहा कि जीएसटी काउंसिल ही फैसला करेगी कि कितना इजाफा किया जाए।

जीएसटी लागू होने के बाद ऑटो कंपनियों ने अधिकतर बड़ी कारों और एसयूवी के दाम 1.1 लाख से लेकर 3 लाख रुपये तक कम किए थे। 17 सेंट्रल और स्टेट टैक्सेज की जगह पर जीएसटी आया था।

सेस बढ़ाने के प्रस्ताव में जीएसटी कंपनसेशन एक्ट में बदलाव के लिए कैबिनेट की मंजूरी मांगी जाएगी। अगर इस संशोधन का प्रस्ताव संसद के मॉनसून सत्र में पास नहीं हो सका तो इस पर अध्यादेश लाया जा सकता है। मॉनसून सत्र 12 अगस्त को पूरा होगा।

मिड-साइज कारों, बड़ी कारों और एसयूवी पर जीएसटी रेट 28 पर्सेंट है और कंपनसेटिंग राज्यों के लिए रेवेन्यू कलेक्ट करने के लिए लगाए जाने वाले सेस को मिलाकर यह 43 पर्सेंट हो जाता है। अगर सेस बढ़ाकर 25 पर्सेंट किया गया तो टोटल टैक्स 53 पर्सेंट तक जा सकता है।