जयपुर । एक ही समय में तीन से चार विमानों की लैंडिंग के दौरान अक्सर यह परेशानी होती है, कि एक विमान को लैंड कराते हुए दूसरे अन्य विमानों को होल्ड पर रख दिया जाता है। लॉकडाउन से पहले जयपुर एयरपोर्ट से रोजाना 63 फ्लाइट का संचालन हो रहा था। उस दौरान एक ही समय पर तीन से चार फ्लाइट की लैंडिंग या टेक ऑफ होने पर एयर ट्रैफिक कंजेशन आम था।
ऐसे में एक फ्लाइट को लैंड कराते हुए दूसरी अन्य फ्लाइट्स को 10 से 15 मिनट तक होल्ड पर रखा जाता था। यानी इन विमानों को आसमान में चक्कर लगाना पड़ता था। रूट क्लियर होने पर ही लैंड कराया जाता था। इसी तरह डिपार्चर होने वाले विमान भी रनवे पर जाने से पहले 10 से 15 मिनट तक एप्रन और टैक्सी वे पर खड़े रहते हैं। इस तकनीकी परेशानी को दूर करने के लिए अब जयपुर एयरपोर्ट प्रशासन ने दिल्ली एयरपोर्ट की तर्ज पर दो नए अपग्रेडेशन किए हैं।
जयपुर से उड़ान भरने वाली फ्लाइट के लिए स्टैंडर्ड इंस्ट्रूमेंट डिपार्चर सिस्टम (एसआईडीएस) लागू किया गया है। जबकि जयपुर आने वाली फ्लाइट के लिए स्टैंडर्ड टर्मिनल अराइवल रूट (स्टार) सिस्टम शुरू किया गया है। इन दोनों तकनीकी अपग्रेडेशन से एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स के लिए विमानों का संचालन करना सुगम होगा। वहीं नया तकनीकी अपग्रेडेशन एयरलाइंस के लिए भी लाभकारी साबित होगा।
यात्रियों के 10-15 मिनट अब बचत हो सकेगी
जब भी फ्लाइट को होल्ड पर रखा जाता है या उड़ान भरने से पहले एप्रन या टैक्सी-वे पर रोका जाता है तो यात्रियों के 10 से 15 मिनट खराब होते हैं। अब एयर ट्रैफिक कंजेशन की स्थिति में ऐसा नहीं होगा। इसका बड़ा फायदा एयरलाइंस को भी मिलेगा। विमान की सीधी लैंडिंग होने से होल्ड पर रखे जाने के दौरान खर्च होने वाला ईंधन बचेगा। वहीं पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी राहत मिलेगी।
एटीसी में क्या है नया तकनीकी बदलाव
डिपार्चर फ्लाइट्स के लिए एसआईडीएस होगा। फ्लाइट का पूरा प्रोसीजर डिसाइड रहेगा कि कितनी देर में विमान किस ऊंचाई पर होगा। आने वाली फ्लाइट्स के लिए स्टार सिस्टम होगा। दूसरे एयरपोर्ट से उड़ान भरने से पहले जयपुर एयरपोर्ट एटीसी से अनुमति लेनी होगी। एटीसी क्लीयरेंस देगी, तभी उड़ान भरेगी। इससे विमान जयपुर में सीधा लैंड हो सकेगा, होल्ड पर नहीं रखा जाएगा।