नई दिल्ली। सुशांत सिंह राजपूत मामले की जांच सीबीआई से कराने को मंजूरी देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यह नियमित व्यवस्था नहीं हो सकती। हर मामले की जांच सीबीआई को नहीं जा सकती। ऐसा विशेष परिस्थितियों और अपवाद के तौर पर ही हो सकता है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा, जांच एजेंसी चुनने का अधिकार आरोपी को नहीं दिया जा सकता।
जस्टिस ऋषिकेश रॉय की एकलपीठ ने 35 पेज के फैसले में लिखा, आम लोगों का सरकारी जांच एजेंसी पर भरोसा कायम रखने के लिए ही कोई मामला सीबीआई या अन्य किसी केंद्रीय एजेंसी को सौंपा जाता है। कोर्ट ने पत्रकार अर्णब गोस्वामी मामले में दिए अपने फैसले का जिक्र करते हुए कहा, जांच एजेंसी तय करने अधिकार आरोपी को नहीं दिया जा सकता।
गौरतलब है कि सुशांत के पिता केके सिंह की ओर से पटना में दर्ज एफआईआर में अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती व छह अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया था। रिया ने सुप्रीम कोर्ट से पटना में दर्ज एफआईआर मुंबई ट्रांसफर करने की मांग की थी ताकि इसकी जांच मुंबई पुलिस कर सके।
महाराष्ट्र सरकार की दलील हुई खारिज
सुशांत सिंह राजपूत मामले में सुप्रीम कोर्ट का न्यायिक इतिहास में दर्ज हो गया। पहली बार एकलपीठ ने संविधान के अनुच्छेद-142 का इस्तेमाल किया है। इसके तहत सुप्रीम कोर्ट को विशेष अधिकार मिलता है कि वह संपूर्ण न्याय के लिए कोई भी आदेश पारित कर सकता है।
जस्टिस ऋषिकेश रॉय ने अपने फैसले में कहा, जांच पर भरोसा कायम रखने और संपूर्ण न्याय को ध्यान में रखते हुए अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल जरूरी था। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी की उस आपत्ति को नकार दिया कि एकलपीठ इस विशेषाधिकार का इस्तेमाल नहीं कर सकती।
सिंघवी ने कहा था, अनुच्छेद-142 का इस्तेमाल कम से कम दो जजों की पीठ ही कर सकती है। जस्टिस रॉय ने कहा, कोर्ट के लिए ऐसी कोई कानूनी बाधा नहीं कि वह विशेषाधिकार का इस्तेमाल न करे। संविधान में ऐसा कहीं नहीं लिखा है कि रोस्टर के तहत किसी मामले की सुनवाई कर रही एकलपीठ के अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल नहीं कर सकती।
कई अहम मामलों में हुआ अनुच्छेद-142 का इस्तेमाल
इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट कई अहम मामलों में अपने इस विशेषाधिकार का इस्तेमाल करता रहा है। कोयला खदान आवंटन घोटाला, भोपाल गैस त्रासदी, हाईवे पर शराब पर प्रतिबंध, आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग आदि मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने इन अधिकार का इस्तेमाल किया है। अयोध्या मामले में भी पूर्ण न्याय देने के मकसद से अनुच्छेद-142 का इस्तेमाल किया था।
महाराष्ट्र सरकार नहीं दे सकेगी फैसले को चुनौती
महाराष्ट्र सरकार लगातार इस मामले में सीबीआई जांच का विरोध कर रही थी। उसका कहना था कि मामला मुंबई पुलिस के पास रहने दिया जाए। राज्य सरकार ने जांच सीबीआई को सौंपने के फैसले को चुनौती देने के लिए छूट मांगी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया। इसके चलते अब महाराष्ट्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को चुनौती भी नहीं दे पाएगी।
जल्द ही मुंबई पहुंचेगी सीबीआई टीम, हत्या के एंगल से होगी जांच
सुशांत सिंह राजपूत मामले में हरी झंडी मिलते ही सीबीआई ने जांच की तैयारी तेज कर दी है। सीबीआई प्रवक्ता आरके गौड़ ने कहा, एक-दो दिन में सीबीआई टीम जांच के लिए मुंबई पहुंचेगी। बिहार पुलिस में दर्ज एफआईआर के आधार पर सीबीआई हत्या के एंगल से जांच बढ़ा सकती है। इस बीच, महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कहा है कि राज्य सरकार सीबीआई जांच में पूरी मदद करेगी।
सीबीआई ने बिहार सरकार के सीबीआई जांच की सिफारिश के बाद ही गुजरात कैडर के आईपीएस मनोज शशिधर के नेतृत्व में टीम गठित की थी। सीबीआई महाराष्ट्र पुलिस से अब तक की गई जांच तथा इस बारे में जुटाए साक्ष्य लेगी। सीबीआई इस मामले में जब्त मोबाइल सहित तमाम गैजेट्स, इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य, पोस्टमार्टम और फोरेंसिक जांच रिपोर्ट, घटनास्थल के फोटोग्राफ लेगी।
मुंबई पुलिस ने सभी 56 लोगों के बयान का रिकॉर्ड भी लिया जाएगा। सुशांत के पिता केके सिंह ने पटना में रिया चक्रवर्ती, उनके पिता इंद्रजीत चक्रवर्ती, मां संध्या चक्रवर्ती, भाई शोविक, सुशांत के मैनेजर सैमुअल मिरांडा और श्रुति मोदी को आरोपी बनाया गया है।
उद्धव सरकार को झटका, हुई बैठक
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली महाविकास अघाड़ी सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। भाजपा सहित विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा है साथ ही गृहमंत्री अनिल देशमुख का इस्तीफा मांगा है। फैसला आने के बाद मुंबई पुलिस के कमिश्नर परमवीर सिंह ने गृहमंत्री और मुख्यमंत्री से मुलाकात की। इसके बाद मुख्यमंत्री ने गृहमंत्री सहित वरिष्ठ नेताओं और अधिकारियों के साथ बैठक की।
सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकार इस फैसले के खिलाफ कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही है। इस बीच देशमुख ने कहा, कोर्ट ने मुंबई पुलिस की जांच को गलत नहीं ठहराया है। उन्होंने आदेश के पैरा 34 का हवाला देते हुए कहा, राज्य सरकार इस पर विचार करेगी। कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में मुंबई पुलिस की समांतर जांच की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।