कोटा। विश्व आयुर्वेद परिषद, चित्तौड प्रान्त की ओर से मंगलवार को तलवंडी स्थित मां भारती स्कूल में आचार्य चरक जयन्ती मनाई गई। डाॅ. मांडवी गौतम के द्वारा धन्वन्तरी स्तवन का गायन किया गया। कोटा विभाग प्रमुख डाॅ. अनुपमा चतुर्वेदी ने महर्षि चरक के बारे में परिचय दिया। विश्व आयुर्वेद परिषद के निर्देश अनुसार गिलोय व तुलसी का वितरण से पहले इन दोनों जीवनदायिनी औषधियों के विषय में डाॅ. नेहा आहुजा ने विस्तृत जानकारी एवं वर्तमान समय मे इनके महत्व को बताया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. मृगेंद्र जोशी ने आचार्य चरक के विशिष्ट मंत्र चिकित्सा सूत्रों पर शोध व्याधिक्षमत्व के आचार्य चरक प्रतिपादित सिद्धांत, सहज कालज युक्तिकृत बल की व्याख्या की। उन्होंने स्वयं के चिकित्सकीय अनुभवों को भी साझा किया। उन्होंने कहा कि महर्षि चरक वर्तमान आयुर्वेद के मूल विद्वान चिकित्सक थे। जिन्होंने आयुर्वेद चिकित्सा के मूल ग्रन्थ चरक संहिता की रचना की है।
पूर्व महापौर महेश विजय ने आयुर्वेद को जन जन तक पहुंचााने की आवश्यकता पर जोर दिया। वैद्य पत्तासिंह सोलंकी ने चरक संहिता के अध्ययन से होने वाले लाभ के विषय में बताया। उन्होंने चिकित्सकों को विविध रोगों के चिकित्सा वैशिष्ट्य के बारे में बताया। वरिष्ठ चिकित्सक डाॅ. मुंजाल ने चरक के सिद्धांतों के साथ विश्व आयुर्वेद परिषद के कार्यक्रम की प्रशंसा की। आरोग्य भारती राजस्थान क्षेत्र प्रमुख लक्ष्मण ने स्वास्थ्य के लिए सभी पैथियों के समन्वय के विषय में बताया।
परिषद के संयोजक निरंजन गौतम ने नवनियुक्त कार्यकारिणी की घोषणा की तथा विश्व आयुर्वेद परिषद के परिचय व उद्देश्य की जानकारी दी। कपिल सैनी द्रारा वैज्ञानिक व तार्किक रुप से कोरोना के लिए आयुर्वेद चिकित्सक द्वारा चिकित्सकीय प्रबन्धन के विषय में जानकारी दी। कार्यक्रम में डॉ. नेहा व डॉ. कपिल द्वारा चर्कोक्त आयुर्बेद संहिताओं के विभिन्न विषयों पर व्याख्यान दिया गया। डाॅ. मेघना शेखावत के द्वारा रोगी की चिकित्सा समर्पण भाव से करने की शपथ भी दिलाई गई। कार्यक्रम के अन्त में डाॅ. राजेंद्र सिंह हाड़ा ने धन्यवाद दिया। इस दौरान गिलोय व तुलसी के पौधे वितरण किए गए।