नई दिल्ली। बेहतर मानसून के कारण चालू खरीफ सत्र में फसलों की बोआई में बढ़ोतरी हुई है। सभी प्रकार के खरीफ फसलों का रकबा पिछले साल के मुकाबले 104 फीसदी बढ़ा है। तिलहन फसलों का रकबा पिछले साल के मुकाबले 525 फीसदी बढ़ा। दलहन फसलों का रबका करीब 222 फीसदी बढ़ा। प्रमुख खरीफ फसल धान का रकबा पिछले साल के मुकाबले 35 फीसदी बढ़ा है। खेती की भाषा में जितने बड़े क्षेत्र में फसल की बोआई या रोपाई होती है, उसे रकबा कहा जाता है।
कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी किए गए आंकड़ों में कहा गया है कि फसल सत्र 2020-21 (जुलाई-जून) में 315.63 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बोआई की गई है। इससे पिछले साल के मुकाबले यह 161.11 लाख हेक्टेयर या 104.25 फीसदी ज्यादा है।
धान का रकबा करीब 35 फीसदी बढ़ा
इस साल अब तक धान की रोपाई 37.71 लाख हेक्टेयर में हुई है। यह पिछले साल के मुकाबले 9.35 लाख हेक्टेयर या करीब 35 फीसदी ज्यादा है। दलहन का रकबा 13.37 लाख हेक्टेयर या 221.72 फीसदी बढ़कर 18.48 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। तूअर दाल का रकबा पिछले साल के मुकाबले 8.04 लाख हेक्टेयर बढ़कर 9.97 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। उड़द दाल का रकबा बढ़कर 2.75 लाख हेक्टेयर पर और मूंग दाल का रकबा बढ़कर 5.30 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है।
मक्के का रकबा 96 फीसदी बढ़ा
इस बीच मोटे अनाजों का रकबा पिछले साल के मुकाबले करीब 96 फीसदी बढ़कर 47.96 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। कोरोनावायरस महामारी के कारण पॉल्ट्र्री उद्योग के तबाह होने की वजह से इस साल किसानों को मक्के की अच्छी कीमत नहीं मिल पाई। इसके बावजूद मक्के की बोआई में उनकी रुचि नहीं घटी। मक्के का रकबा दोगुना होकर 31.27 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया।
सोयोबीन के रकबे में 2278.57 फीसदी की बढ़ोतरी
तिलहन का रकबा पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 69.99 लाख हेक्टेयर या 525 फीसदी बढ़कर 83.31 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। मूंगफली का रकबा पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 8.63 लाख हेक्टेयर बढ़कर 18.45 लाख हेक्टेयर हो गया। इस बीच सोयाबीन का रकबा पिछले साल की समान अवधि के 2.66 लाख हेक्टेयर के मुकाबले बढ़कर 63.26 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। इस तरह से सोयोबीन के रकबे में 60.61 लाख हेक्टेयर या 2278.57 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
पूरे देश में पहुंचा मानसून
भारत मौसम विज्ञान विभाग ने शुक्रवार को कहा था कि मानसून पूरे देश में पहुंच चुका है और बारिश का वितरण भी अच्छा है। मानसून के 1 जून को केरल पहुंचने के बाद पहले 25 दिनों में पूरे देश में औसत से 21 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। इस दौरान पूरे देश में 155.2 मिलीमीटर बारिश हुई, जबकि लंबी अवधि का औसत 128.2 मिलीमीटर है।