मुंबई। आईपीओ बाजार पर कोरोना का असर पूरी तरह से हिट साबित हुआ है। इस कैलेंडर साल के पहले 6 महीनों में आए तो दो आईपीओ पर एक आईपीओ को विड्रा करना पड़ा, जबकि एक सफल रहा। यह आंकड़ा 2014 के स्तर पर पहुंच गया है। उस साल में भी पहले 6 महीने में महज एक ही आईपीओ आया था। उधर सोमवार को ही सेबी ने यूटीआई म्यूचअल फंड के आईपीओ को मंजूरी दे दी।
यूटीआई आईपीओ से 3,000 करोड़ रुपए जुटाने की योजना बनाई है। इसने दिसंबर में इसके लिए आवेदन फाइल किया था। पिछले हफ्ते ही इम्तियाजुर रहमान को कंपनी का एमडी बनाया गया था। इस साल अभी तक एकमात्र आईपीओ एसबीआई कार्ड का आया है। पर निवेशकों के लिए यह भी घाटे का सौदा रहा है।
यह आईपीओ के भाव की तुलना में 18 प्रतिशत डिस्काउंट पर कारोबार कर रहा है। 2014 में हालांकि 6 महीने में दो आईपीओ आए थे, पर एक आईपीओ को सब्सक्रिप्शन नहीं मिलने पर वापस ले लिया गया था। इस साल भी यही हाल रहा है। इस साल भी एसबीआई कार्ड के अलावा एक एंटोनी वेस्ट का आईपीओ आया था, और उसे पूरा सब्सक्रिप्शन नहीं मिलने पर वापस ले लिया गया था।
बाजार के जानकारों के मुताबिक अब पूरी तरह से नजर दूसरी छमाही पर है। हालांकि एसबीआई के कारण ग्रे बाजार को भी झटका लगा है। एसबीआई का ग्रे मार्केट का कामकाज सभी शहरों में सेटलमेंट नहीं हो पाया था। प्रीमियम का कई सौदा तो रद्द हो गया था। अहमदाबाद में ग्रे मार्केट के ऑपरेटर लॉकडाउन से पहले ही सेटलमेंट कर लिए थे। इससे यह पता चलता है कि अगर ग्रे मार्केट में सुधार नहीं हुआ तो इसका सीधा असर आईपीओ पर दिखेगा।
20 हजार करोड़ रुपए के आईपीओ की थी उम्मीद
इस साल की शुरुआत में 20 हजार करोड़ रुपए के आईपीओ आने की उम्मीद थी। लेकिन यह सभी आईपीओ टल गए। इस वर्ष एसएमई प्लेटफॉर्म पर भी पिछले वर्ष की तुलना में काफी कम आईपीओ आए हैं। बीएसई और एनएसई पर मिलाकर एसएमई के महज 11 आईपीओ आए हैं। एसएमई प्लेटफॉर्म पर 2 से 5 करोड़ रुपए का भी आईपीओ लाने की मर्चेंट बैंकर्स की हिम्मत नहीं है।
एसएमई प्लेटफॉर्म पर महज 65 करोड़ रुपए के आईपीओ आए हैं जो पिछले वर्ष की तुलना में काफी कम हैं।आंकड़े बताते हैं कि मुख्य प्लेटफॉर्म पर 2019 में कुल 8 आईपीओ आए थे। 2018 में 15 आईपीओ, 2017 में 15 आईपीओ, 2016 में 11 आईपीओ व 2015 में 7 आईपीओ आए थे।