राजस्थान में मनरेगा श्रमिकों को नींबू पानी, छाछ और शरबत पिलाएगी सरकार

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जयपुर। महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत कार्य स्थलों पर कड़ी धूप में काम कर रहे श्रमिकों को भले ही कार्य स्थलों पर पीने के लिए ठंडा पानी नहीं मिल रहा हो, लेकिन अब सरकार श्रमिकों को छाछ, कैरी की आंछ, नींबू पानी व शरबत जैसी शीतल पेयजल मुहैया करवाने की कवायद में जुटी है। हाल ही में ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग के आयुक्त पीसी किशन ने इसके आदेश जारी किए हैं। आदेश में कार्य स्थलों पर कार्य कर रहे श्रमिकों को यह चीजे विशेष तौर पर भामाशाहों की मदद से मुहैया करवाने के निर्देश दिए हैं।

विभाग की मंशा है कि भीषण गर्मी में कार्य कर रहे श्रमिकों को यह चीजें कार्य स्थलों पर मिलेगी तो उन्हें तापघात एवं गर्मी से होने वाली परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। लेकिन, हकीकत यह है कि अधिकांश कार्य स्थलों पर श्रमिकों के लिए ठंडे पानी तक की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में विभाग के इन निर्देशों की पालना करना ग्राम पंचायतों के लिए टेड़ी खीर साबित हो सकता है। उल्लेखनीय है कि सांगोद पंचायत समिति क्षेत्र की 36 ग्राम पंचायतों में इन दिनों मनरेगा योजना में 364 कार्य चल रहे हैं। जिसमें 17 हजार से ज्यादा श्रमिक कार्यरत हैं।

कार्य स्थलों पर दोपहर एक बजे तक श्रमिक भीषण गर्मी में भी श्रमिक कार्य कर रहे हैं। ज्यादातर जगहों पर न तो पीने के लिए ठंडे पानी की व्यवस्था है और न ही छाया की। हालांकि अधिकांश कार्यस्थलों पर पंचायतों ने मटकों की व्यवस्था कर रखी है लेकिन खुले में रखे मटकों का पानी भी लू के थपेड़ों से गर्म हो जाता है। छाया के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं होने से श्रमिकों को पेड़ व झाडिय़ों की ओट में धूप से राहत का जतन करना पड़ता है।

भीषण गर्मी में कार्य कर रहे श्रमिकों की समस्या को लेकर मनरेगा आयुक्त ने कार्य स्थलों पर श्रमिकों के विश्राम के लिए शैड की व्यवस्था करने के साथ ही भामाशाहों की मदद से छाछ, कैरी की आंछ, नींबू पानी व शरबत जैसी चीजों की व्यवस्था कराने के प्रयास तथा मेडिकल किट में इलेक्ट्रोल एवं ग्लुकोज की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए हैं, ताकि श्रमिक तापघात व अन्य बीमारियों से बच सके।

यहां भी मिलेगी श्रमिकों को राहत
आदेश में निर्धारित टास्क पूर्ण करने पर नियत समय से पूर्व भी श्रमिकों को घर जाने को राहत दी है। आदेश में कहा गया है कि कोई श्रमिक या श्रमिक समूह समय से पूर्व निर्धारित टास्क के अनुसार कार्य पूर्ण कर लेता है तो वह कार्य की माप मेट के पास उपलब्ध मस्टररोल में अंकित टास्क प्रपत्र में करवाने के उपरांत कार्य स्थल छोड़ सकता है। यानी किसी श्रमिक के द्वारा निर्धारित टास्क पांच घंटे की अवधि में पूर्ण कर लिया जाता है तो उसे अनावश्यक रूप से कार्य स्थल पर नहीं रोका जाए। गौरतलब है कि इन दिनों तापमान 45 डिग्री से भी अधिक चल रहा है। तेज धूप में श्रमिकों के बीमार पडऩे की आशंका रहती है।