राहत: कृषि जिंसों पर पुरानी दर से ही वसूल होगा कृषक कल्याण शुल्क

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जयपुर। राज्य सरकार ने खाद्य पदार्थ से जुड़े व्यापारियों एवं उद्योगों को राहत दी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने निर्देश दिए हैं कि ज्वार, बाजरा, मक्का, जीरा, ईसबगोल सहित जिन कृषि जिंसों पर मंडी शुल्क पचास पैसा प्रति सैकड़ा था, उन पर कृषक कल्याण शुल्क की वर्तमान दर दो रुपए प्रति सैकड़ा के स्थान पर पचास पैसा प्रति सैकड़ा ही वसूली जाएगी।

इसी प्रकार तिलहन-दलहन, गेहूं सहित जिन कृषि जिंसों पर मंडी शुल्क की दर एक रुपए तथा एक रुपए 60 पैसा प्रति सैंकड़ा है, उन पर भी वर्तमान में कृषक कल्याण शुल्क की वर्तमान दर दो रुपए प्रति सैंकड़ा के बजाय एक रुपए की दर ही लागू होगी। ऊन को कृषक कल्याण शुल्क से मुक्त रखा जाएगा।

गहलोत ने गुरुवार को मुख्यमंत्री निवास पर खाद्य पदार्थ के कारोबार से जुड़े प्रदेशभर के व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधियों से चर्चा के बाद यह निर्णय किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस निर्णय से प्रदेश के खाद्य पदार्थ से जुड़े कारोबारियों एवं कृषि प्रसंस्करण उद्योगों को राहत मिलेगी। प्रतापगढ़, झालावाड़, बांसवाड़ा, जालौर, सिरोही, कोटा, बारां, भरतपुर, धौलपुर, अलवर सहित प्रदेश के अन्य सीमावर्ती जिलों में पड़ोसी राज्यों के मुकाबले दरों का अंतर कम होगा और उन्हें प्रतिस्पर्द्धात्मक रूप से व्यापार करने में आसानी होगी। व्यापार बढ़ने से राज्य सरकार का राजस्व बढ़ेगा।

ज्ञातव्य राजस्थान सरकार द्वारा दो प्रतिशत कृषक कल्याण सेस लगाने के विरोध में राजस्थान की 247 मंडियों में करीब दस दिन हड़ताल रही थी। बाद में उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के आश्वासन के बाद हड़ताल स्थगित कर दी थी। मुख्य मंत्री गहलोत ने गुरुवार को इस संबंध में मीटिंग कर व्यापारियों की समस्या सुनी। उसके बाद यह राहत प्रदान की गई है।

कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति
गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा कृषि प्रसंस्करण उद्योगों एवं कृषि व्यवसाय को प्रोत्साहित किए जाने की दृष्टि से राजस्थान कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति लाई गई है। कृषि जिंसों पर प्रभारित होने वाली दरों को औचित्यपूर्ण किए जाने से कृषि प्रसंस्करण उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा और वे अन्य राज्यों की तुलना में प्रतिस्पर्द्धात्मक हो सकेंगे। इन उद्योगों को बढ़ावा मिलने से किसानों को भी अपनी उपज उचित दरों पर बेचने के अधिक अवसर मिल सकेंगे।