–अरविन्द गुप्ता
कोटा। उर्जा क्षेत्र में निरंतर कीर्तिमान बनाने वाले कोटा थर्मल पावर स्टेशन की उंची चिमनियां शांत हो जाने से समूचे बिजलीघर में सन्नाटा छाया हुआ है। सर्वाधिक बिजली उत्पादन के लिए पसीना बहाने वाले श्रमिक, कर्मचारी व अभियंता एक माह से बंद थर्मल को तुरंत चालू करवाने के लिए जनांदोलन कर रहे हैं। सोमवार को थर्मल गेट से जिला कलक्ट्रेट सर्किल तक दुपहिया वाहन रैली विशाल वाहन रैली निकाली। 34 वर्ष पुराने थर्मल के इतिहास में यह पहला मौका है जब सरकार ने लगातार 30 दिन तक 4 चालू यूनिटों से उत्पादन बंद करवा दिया।
संघर्ष समिति के संयोजक रामसिंह शेखावत ने कहा कि कोटा थर्मल शहर की उर्जा धरोहर है, जिससे हजारों परिवारों की आजीविका जुड़ी है। इसकी 4 यूनिटें स्टेट लोड डिस्पेच सेंटर,जयपुर द्वारा नियोजित साजिश के तहत 10 मार्च से ही बंद हैं। जनवरी,2017 में कोटा थर्मल की यूनिट-2 ने मात्र दो कोल मिलों से निरंतर बिजली पैदा करने का कीर्तिमान बनाया, इसके विपरीत निजी कंपनियों के दबाव में थर्मल की चालू यूनिटों को जबरन बंद करवाकर कोटा थर्मल को करोड़ों रूपए की उत्पादन हानि पहुंचाई जा रही है। कोटा थर्मल जैसे देश के सर्वश्रेष्ठ बिजलीघर की छवि को बिगाड़ने का यह सुनियोजित खेल है। प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री एव मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर डॉ. रविकुमार सुरपुर को ज्ञापन दिया।
कोटा के हित में सड़कों पर उतरे कर्मचारी व श्रमिक
एचएमएस के प्रदेश महामंत्री मुकेश गालव ने कहा कि आईएल के बाद कोटा थर्मल जैसे बडे़ उद्योग को बंद करने का प्रयास शहर के विकास पर बिजली गिराने जैसा होगा। दुर्भाग्य से निरंतर लाभ में चल रहे कोटा थर्मल को चालू रखने के लिए कर्मचारियों, श्रमिकों व अभियंताओं को सड़कों पर आंदोलन करना पडा। एकीकृत कर्मचारी संघ की अध्यक्ष हंसा त्यागी ने कहा कि कोटा थर्मल बचाने के लिए आमरण अनशन भी करना पड़ा तो वे सबसे आगे रहेगी। महिला मुख्यमंत्री गरीब ठेका मजदूरों की रोजी-रोटी छीनने का प्रयास नहीं करे। संघर्ष समिति के सह-संयोजक शिवपाल चौधरी, आजाद शेरवानी, चंद्रशेखर चौधरी, श्यामसुंदर पंवार व राकेश डगोरिया ने बताया कि थर्मल बचाओ सर्वदलीय जन आंदोलन बन चुका है, यह तब जारी रहेगा, जब तक सरकार इसकी 4 यूनिटों को बंद करने तथा निजीकरण करने का निर्णय वापस न ले।
जनता पर गिरेगी निजी क्षेत्र की महंगी बिजली
ज्ञापन में बताया कि रामगढ़ में 1000 मेगावाट क्षमता के राजवेस्ट निजी बिजलीघर ने सरकार से 3.50 रू. में बिजली दर तय की, जिसे बाद में घाटा बताकर प्लांट बंद कर दिया लेकिन सरकार ने उससे 4.50 रू.की दर से बिजली खरीदने का दोबारा एग्रीमेंट कर उसे फिर चालू करवा दिया। कवाई में चल रहे अडानी पॉवर प्लांट की दरें भी कोटा थर्मल से अधिक हैं। ऐसे में प्रति यूनिट 3.05 रू. सस्ती बिजली पैदा कर रहे कोटा थर्मल को निजी कंपनियों के दबाव में बंद करना राज्य के हित में नहीं है। 1240 मेगावाट क्षमता के कोटा थर्मल की 2 यूनिटें ही चालू हैं, शेष 850 मेगावाट की 5 यूनिटें बंद पड़ी हैं। गर्मी में बिजली की मांग नहीं जैसे कारण से रोज बिजली कटौती झेल रहे उद्यमियों, व्यापारियों एवं नागरिकों में आक्रोश है।
संघर्ष समिति का कहना है कि महाराष्ट्र में एनरोन कंपनी 3-4 वर्ष में बिजली के मनमाने दाम वसूल करने लगी तो जनविरोध के दबाव में उसे राज्य छोडकर जाना पड़ा। राज्य में आरवीयूएनएल के अधीन कोटा, छबड़ा, झालावाड़, सूरतगढ़ पावर प्लांट को अगले 2 वर्ष तक पूरी क्षमता से चलाया जाए तो सरकार इन्हें लाभ की स्थिति में कर सकती है तथा जनता को सस्ती दरों पर बिजली मिलती रहेगी। निजी कंपनियों को बेचने पर कुछ समय बाद वे दरों में संशोधन कर मनमाने दाम वसूल करेंगी, जिसका आर्थिक मार आम जनता पर पड़ेगी।