मप्र विधान सभा/ कमलनाथ सरकार का फ्लोर टेस्ट 26 मार्च तक टला

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भोपाल। मध्य प्रदेश की विधानसभा के फ्लोर पर सत्ता का टेस्ट फिलहाल टल गया है। सोमवार को राज्यपाल लालजी टंडन 36 पन्नों के अभिभाषण के साथ विधानसभा तो पहुंचे, लेकिन उन्होंने एक मिनट से भी कम वक्त लेकर आखिरी पन्ने का आखिरी पैरा ही पढ़ा। इसके बाद राज्यपाल ने हिदायती लहजे में ‘लोकतांत्रिक मूल्यों का निर्वहन’ करने की बातें कहीं। इशारा मुख्यमंत्री कमलनाथ और स्पीकर एनपी प्रजापति की ओर ही था।

इसके महज 5 मिनट बाद स्पीकर ने अपने ‘अधिकारों का निर्वहन’ करते हुए काेरोनावायरस के खतरों का हवाला देकर 26 मार्च तक कार्यवाही स्थगित कर दी। 26 मार्च यानी ठीक वही तारीख, जिस दिन राज्यसभा चुनाव के लिए वोटिंग होनी है। इसके ये मायने हैं कि फ्लोर टेस्ट 26 मार्च तक टल गया है, लेकिन शर्तें लागू हैं क्योंकि…

मामला अदालत में पहुंचा
फ्लोर टेस्ट में देरी के विरोध में भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है। सुनवाई के दौरान भाजपा सुप्रीम कोर्ट से यह मांग करेगी कि स्पीकर को जल्द फ्लोर टेस्ट कराने के निर्देश दिए जाएं। इसके अलावा अगर स्पीकर अगले 10 दिन के भीतर बागी विधायकों को अयोग्य करार देते हैं तो भी मामला हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में जा सकता है। कोर्ट में तुरंत सुनवाई हुई तो 26 मार्च से पहले भी फ्लोर टेस्ट हो सकता है।

राज्यपाल निर्देश दें तो भी 26 मार्च से पहले फ्लोर टेस्ट
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ज्यसभा चुनाव में 10 दिन बाकी हैं। इससे पहले अगर सियासी घटनाक्रम बदलता है तो कमलनाथ और भाजपा, दोनों ही अपने-अपने तर्क देकर राज्यपाल से फ्लोर टेस्ट कराने का अनुरोध कर सकते हैं। कमलनाथ 14 मार्च को राज्यपाल को पत्र लिखकर कह चुके हैं, ‘हम फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हैं, लेकिन 22 विधायकों को बंधक बनाकर यह संभव नहीं है। आप गृह मंत्री अमित शाह से कहें कि बेंगलुरु में बंधक विधायकों को छुड़ाएं।’ कमलनाथ ने बाद में गृह मंत्री को भी चिट्‌ठी लिखी थी।