टैक्स विभाग ने इसके लिए चार्टर्ड अकाउंटेट्स को जिम्मेदार ठहराया है।
नई दिल्ली। जीएसटी लागू हुए अभी दो हफ्ते हुए हैं और इसके पोर्टल पर गड़बड़ियां सामने आने लगी हैं। कुछ कारोबारियों ने शिकायत की है कि पोर्टल पर लॉग इन के लिए वे अपनी डिटेल्स डालते हैं, लेकिन खुलता किसी और का अकाउंट है। इससे कारोबारियों का डाटा लीक होने का खतरा बन गया है।
जीएसटी लागू होने से पहले सरकार ने दावा किया था कि दूसरे के अकाउंट देखना मुमकिन नहीं है, इसलिए डाटा पूरी तरह सुरक्षित है। हालांकि टैक्स विभाग ने इसके लिए चार्टर्ड अकाउंटेट्स को जिम्मेदार ठहराया है। उसका कहना है कि टैक्स प्रैक्टिशनर एक साथ कई कंपनियों के अकाउंट खोलते हैं, इसलिए ऐसा हो रहा है।
जीएसटी लागू करने वाले सीबीईसी की मुंबई डिवीजन ने इस बारे में एक सर्कुलर जारी किया है। इसमें कहा गया है कि ऐसा उन्हीं मामलों में देखने को मिल रहा है जिनमें रजिस्ट्रेशन या एनरोलमेंट एक ही टैक्स प्रैक्टिशनर कर रहा है। गौरतलब है कि सरकार ने पुराने कारोबारियों के माइग्रेशन के लिए 22 जुलाई और नए रजिस्ट्रेशन के लिए 30 जुलाई तक की तारीख तय की है।
इसने कहा है कि अगर कोई कंपनी या कारोबारी एक पैन पर अलग-अलग वर्टिकल के लिए अलग रजिस्ट्रेशन चाहता है तो उसे अलग ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर का इस्तेमाल करना चाहिए। इससे रजिस्ट्रेशन नंबर यूनिक बने रहेंगे।
सीबीईसी ने कहा – सीए की गलती से रही समस्या
टैक्सप्रैक्टिशनर (सीए) अपने कंप्यूटर पर अलग-अलग टैक्सपेयर (कारोबारी) के लिए कई विंडो खोलता है, तभी ऐसा होता है। एप्लिकेशन फॉर्म भरते वक्त जो आंकड़े भरे जाते हैं वे कंप्यूटर की कैश मेमोरी में रह जाते हैं। इसी से यह समस्या रही है।
कंप्यूटर पर एक बार में एक कारोबारी का ही विंडो खोलें
सीबीईसीने टैक्स प्रैक्टिशनरों को सलाह दी है कि वे एक बार में एक ही कारोबारी का विंडो खोलें। काम पूरा होने पर कंप्यूटर की कैश मेमोरी डिलीट कर दें। उसके बाद दूसरे रजिस्ट्रेशन या एनरोलमेंट की प्रक्रिया शुरू करें।