निर्भया केस / डेथ वॉरंट के बाद दोषी विनय ने दाखिल की क्यूरेटिव पिटिशन

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नई दिल्ली। निर्भया केस में दिल्ली की एक अदालत द्वारा डेथ वॉरंट जारी करने के कुछ दिन बाद ही चार में से एक दोषी विनय कुमार शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल की है। याचिका में फांसी पर रोक की मांग की गई है। बता दें कि दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 7 जनवरी को चारों दोषियों का डेथ वॉरंट जारी कर दिया था। हालांकि अभी तक जो सुप्रीम कोर्ट की परंपरा रही है उसमें रेयरेस्ट ऑफ द रेयर मामले में ही शीर्ष अदालत ने क्यूरेटिव पिटिशन में अपना फैसला पलटा है। ऐसे में दोषियों की फांसी टलना मुश्किल लग रहा है।

सभी चारों दोषियों को 22 जनवरी की सुबह 7 बजे एक साथ तिहाड़ की जेल नंबर-3 में एक साथ फांसी पर लटकाया जाएगा। इसके लिए यूपी के जेल विभाग की ओर से तिहाड़ में जल्लाद भेजे जाने के लिए हामी भर दी गई है। तिहाड़ जेल ने यूपी से दो जल्लाद मांगे हैं। कानपुर में रहने वाला जल्लाद बूढ़ा हो गया है, इसलिए उम्मीद है कि मेरठ वाला जल्लाद ही इन चारों को फांसी पर लटकाएगा।

तो खारिज होना तय?
कानूनी जानकार ज्ञानंत सिंह बताते हैं कि डेथ वॉरंट जारी होने के बाद भी मुजरिम चाहे तो दया पिटिशन दाखिल कर सकता है। दया याचिका दाखिल करने के लिए कोई समय सीमा नहीं है। इस मामले में अब क्यूरेटिव पिटिशन का रास्ता बंद सा दिखता है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट के रूल और ऑर्डर के तहत प्रावधान है कि क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल करने के दौरान ये अर्जी में बताना होता है कि चूंकि उनके ग्राउंड को रिव्यू पिटिशन पर इन चैंबर विचार के दौरान नहीं देखा गया ऐसे में क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल की जाती है। लेकिन मौजूदा मामले में रिव्यू पिटिशन ओपन कोर्ट में सुना गया और फिर खारिज हो चुका है ऐसे में उनके समझ से क्यूरेटिव पिटिशन नहीं बनता है।

अक्षय की रिव्यू पिटिशन हो चुकी है खारिज
निर्भया केस के दोषियों में से एक अक्षय ठाकुर की रिव्यू पिटिशन सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने अक्षय की रिव्यू पिटिशन खारिज करते हुए कहा कि इस मामले में दोषी के वकील को पूरा मौका दिया गया लेकिन दोषी के वकील ने कोई नई बात नहीं की है।

जानें क्या होती है क्यूरेटिव पिटिशन
एक्सपर्ट की माने कि निर्भया के दोषी की याचिका को स्वीकार करने की संभावना बेहद कम है। विरले ही मामले में ही क्यूरेटिव पिटिशन में शीर्ष अदालत ने अपना फैसला बदला है। चूंकि हर व्यक्ति को अपने बचाव का संवैधानिक अधिकार है तो कोई भी दोषी याचिका दाखिल कर सकता है। क्यूरेटिव पिटिशन में मुजरिम जजमेंट के तकनीकी पहलुओं की ओर ध्यान दिलाता है और सवाल उठाता है कि जजमेंट में कहा सुधार की जरूरत है। लेकिन इसके लिए सीनियर एडवोकेट की सिफारिश की जरूरत होती है। सीनियर वकील की सिफारिश के बिना क्यूरेटिव दाखिल नहीं हो सकती। क्यूरेटिव पिटिशन पर चैंबर में सुनवाई होती है। सुप्रीम कोर्ट अगर क्यूरेटिव पिटिशन को भी खारिज कर दे फिर दया याचिका दायर किए जाने का प्रावधान है।